दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली महिला आयोग के संविदा कर्मचारियों को हटाया, आयोग की पूर्व प्रमुख और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल आदेश पर भड़कीं

2 May, 2024, 10:14 pm

दिल्ली के उपराज्यपाल ने आयोग में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया है l  महिला एवं बाल विकास विभाग का आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने बिना किसी ठोस आधार के डीसीडब्ल्यू कर्मचारियों को हटाने का आदेश देने के उपराज्यपाल के फैसले की तीखी आलोचना की और इसे नकारात्मक राजनीति बताया और साथ ही एक ऐसी संस्था के ख़िलाफ़ कदम बताया, जिसने दिल्ली की महिलाओं की सेवा में महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में उनके कर्यकाल के समाप्त होने के बाद आये इस आदेश के समय पर सवाल उठाया।

स्वाति मालीवाल ने आदेश में इस दावे का खंडन किया की दिल्ली महिला आयोग में 223 व्यक्ति कार्यरत हैं, उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तविक संख्या 90 है, जिनमें से 82 संविदा पर हैं और 8 नियमित हैं। उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में शून्य स्वीकृत पद हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली महिला आयोग  की उपलब्धियां केवल उनके नहीं बल्कि डीसीडब्ल्यू कर्मचारियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम हैं। पिछले 8 वर्षों में, दिल्ली महिला आयोग ने 1,70,000 से अधिक शिकायतों पर काम किया है, 181 महिला हेल्पलाइन पर 40 लाख से अधिक संकटपूर्ण कॉल प्राप्त हुई हैं, और सीआईसी के माध्यम से 60,000 से अधिक यौन हिंसा की पीड़िताओं को परामर्श प्रदान किया गया है। आयोग ने मोबाइल हेल्पलाइन कार्यक्रम के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक जमीनी दौरे किए हैं, 50,000 से अधिक सामुदायिक बैठकें आयोजित की हैं, और 2 लाख से अधिक मामलों पर महिला पंचायतों ने काम किया है। इसके अलावा, आयोग ने आरसीसी के माध्यम से 2 लाख से अधिक अदालती मामलों में यौन हिंसा की पीड़ित महिलाओं और बच्चियों को सहायता प्रदान की है, और 500 से अधिक नीति स्तर की सिफारिशें सरकार को भेजी गई हैं। उन्होंने कहा कि आयोग की पिछली अध्यक्ष ने 8 वर्षों में केवल एक मामले को निपटाया था।

अपनी नौकरी खोने वाले कर्मचारियों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए स्वाति मालीवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनमें से कई महिला कर्मचारी अपराध, एसिड हमलों और घरेलू हिंसा की पीड़ित हैं, जिन्होंने देश में अन्य महिलाओं की सेवा के लिए अपना समय और ऊर्जा समर्पित की है। आदेश के कारण अपनी नौकरी खोने वाली कुछ लड़कियां आश्रय गृहों में रहने वाली अनाथ बच्चियां थीं जिनको आयोग ने रोजगार प्रदान किया था ।

उन्होंने कर्मचारियों की संख्या और किए गए कार्यों के बीच असमानता पर जोर दिया और सवाल किया कि क्या 8 लोग डीसीडब्ल्यू की जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं।

स्वाति मालीवाल ने बृज भूषण शरण सिंह और जनता दल (एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना जैसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए अधिकारियों की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि एलजी के इस कदम का उद्देश्य डीसीडब्ल्यू को देश के अन्य महिला आयोगों की तरह अप्रभावी बनाना है, उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए दिल्ली महिला आयोग की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सरकार से डीसीडब्ल्यू को धन और कर्मचारियों के आवंटन का आग्रह किया और कर्मचारियों को हटाने के आदेश को वापस लेने की मांग की।

स्वाति मालीवाल ने कहा, “दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों को हटाने का उपराज्यपाल का कदम दिल्ली की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ है। वह आयोग का मुंह बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आदेश लागू किया जाता है, तो 181 महिला हेल्पलाइन, रेप क्राइसिस सेल, क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर, महिला पंचायत, एसिड अटैक एंड रिहैबिलिटेशन सेल जैसे अन्य दिल्ली महिला आयोग के कार्यक्रम बंद हो जाएंगे। अगर उनके पास मेरे खिलाफ कुछ है, तो वह मेरे पीछे ईडी, सीबीआई लगा दें, मुझे जेल में डाल दें। लेकिन मैं उन्हें राजधानी की महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करने दूंगी।”

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