कोरोना संकट में दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने में खर्च करने की बजाए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च

28 August, 2020, 10:39 pm

नई दिल्ली, 28 अगस्त। कोरोना संकट के बीच भी दिल्ली सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने में खर्च करने की बजाए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च करती नजर आई। इस मुद्दे पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने आज प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित किया और केजरीवाल सरकार को उसकी कार्यशैली के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जहां राज्य सरकारों के सामने सीमित बजट में ज्यादा सुविधाएं देने की चुनौती थी। वहीं इस दौर में भी केजरीवाल सरकार ने सुविधाओं की जगह विज्ञापन पर करोड़ों रुपए बहाए। इस अवसर पर प्रदेश प्रवक्ता श्री हरीश खुराना व प्रदेश मीडिया प्रमुख श्री अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।

श्री गुप्ता ने कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार केजरीवाल सरकार ने कोरोना काल में अप्रैल से लेकर जुलाई तक 48 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए जो तकरीबन 40 लाख रूपये हर रोज बैठता है। अगर 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले साल केजरीवाल सरकार ने 200 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए जो तकरीबन 55 लाख रूपये रोज का बैठता है। एक तरफ केजरीवाल सरकार करोड़ों रुपए विज्ञापन पर खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर गरीबों से जुड़ी योजनाओं को बजट की कमी का बहाना कर उस पर रोक लगा रही है। अगर दिल्ली सरकार चाहती तो वह इन पैसों से दिल्ली के जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह दिखाता है कि केजरीवाल सरकार में दिल्ली की जनता के लिए काम करने की इच्छा शक्ति नहीं है। 

श्री गुप्ता ने कहा कि महज कोरोना काल के दौरान विज्ञापन पर खर्च किए गए रुपयों का आंकलन करें तो अप्रैल से लेकर जुलाई तक केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर प्रतिदिन 40 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए। अगर इस रकम को सही तरीके से खर्च किया जाता तो दिल्ली की जनता की काफी मदद हो जाती। उन्होंने कहा कि इस रकम का इस्तेमाल गरीबों को खाना देने में किया जाता तो प्रतिदिन 2 लाख लोगों को मुफ्त खाना दिया जा सकता था यानी इन पांच महीने में 3 करोड़ 80 लाख लोगों को खाना मिल सकता था। वहीं अगर इस रकम में राशन किट उपलब्ध कराई जाती तो प्रतिदिन 8000 लोगों को राशन किट मुफ्त दी जा सकती थी यानी इन पांच महीनों में 12 लाख लोगों को राशन किट उपलब्ध हो पाती। अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने पर यह रकम खर्च की जाती तो प्रतिदिन 26 वेंटिलेंटर खरीदे जा सकते थे। यानी इन पांच महीनों में 3900 वेंटिलेंटर की व्यवस्था हो सकती थी। बेड की बात करें तो अस्पतालों में प्रतिदिन 200 बेड बढ़ाए जा सकते थे यानी पांच महीने में 30 हजार बेड बढ़ाए जा सकते थे। इसी तरह प्रतिदिन 11.5 हजार ऑक्सीमीटर खरीदे जा सकते थे यानी पांच महीनों में 17 लाख 25 हजार ऑक्सीमीटर खरीदे जा सकते थे। इस रकम से प्रतिदिन 40 लाख मास्क या सैनिटाइजर खरीदे जा सकते थे यानी पांच महीनों में लगभग 60 करोड़ मास्क व सैनिटाइजर खरीदे जा सकते थे। इसी तरह इस रकम से प्रतिदिन 8 लाख लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिये काढ़ा बांटा जा सकता था यानी पांच महीनों में 1.2 करोड़ लोगों को इम्यूनिटी काढ़ा बांटा जा सकता था। 

 

श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल बताएं कि उन्होंने दिल्ली सरकार के फंड से इन पांच महीनों में कितने लोगों को मास्क, सैनिटाइजर, राशन किट, काढ़ा और खाना बांटा है। सरकार में न होने के बावजूद दिल्ली भाजपा ने लाखों लोगों को राशन किट, खाना और इम्यूनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा निशुल्क उपलब्ध कराया है। वहीं दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में दिल्ली वालों को मरने के लिए तो छोड़ दिया, लेकिन विज्ञापन से मोह नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने भी कहा है कि नौकरी और पर्यटन के अलावा को भी विज्ञापन दिल्ली सरकार दिल्ली के बाहर नहीं दे सकती है लेकिन छत्तीसगढ़, झारखंड एवं अन्य राज्यों में भी विज्ञापन दिया जा रहा है। जो पैसे बच्चों के मिड डे मील, आशा वर्कर, गेस्ट टीचर के वेतन देने में उपयोग किए जा सकते थे उन पैसों का उपयोग केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन के जरिए खुद के प्रचार प्रसार में लगाया। एक तरफ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री जीएसटी काउंसिल में पैसों को लेकर घड़ियाली रोना रोते हैं और दूसरी ओर विज्ञापनों में करोड़ों खर्च किए जाते हैं। विज्ञापन में दिल्ली के लोगों का भला करने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि उनके दिए गए करोड़ों के विज्ञापन से दिल्ली के लोगों का क्या भला हुआ?