‘‘बीर बाल दिवस’’ की बदौलत देश व दुनिया में साहिबज़ादों के इतिहास को पहुंचाने में मदद मिली

नई दिल्ली, 28 दिसंबर: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संयुक्त सचिव स. जसमेन सिंह नोनी ने कहा है कि 1984 के सिख नरसंहार के अपराधियों को सम्मानित करने वाले सरना बंधुओं से आज भारत सरकार द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों व माता गुजरी जी की स्मृति में मनाया गया वीर बाल दिवस बर्दाशत नहीं हो रहा।
आज एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए जसमेन सिंह नोनी ने कहा कि वीर बाल दिवस मनाना सिखों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी जिसके लिए हम निरंतर संघर्ष करते आ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मानते हुए प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। बीते दिनों हुए समागम में गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी व छोटे साहिबज़ादों बाबा ज़ोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी जी को श्रद्धापूर्वक नमन किया गया जिसे सरना बंधु बर्दाशत नहीं कर पा रहे।
उन्होंने कहा कि सरना बंधुओं के लिए कांग्रेस पार्टी अहम है क्योंकि 1984 के सिखों के कातिलों को सम्मानित करने को जायज़ ठहराते हुए इन बंधुओं ने कहा था कि इसकी बहुत जरूरत है। कई वर्ष गुज़र गये मगर अब श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार है जिसने ना केवल 1984 के सिख नरसंहार के केसों में न्याय दिलाया बल्कि गुरु साहिब की बाणी व इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने के लिए दिल्ली कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा व पूरी टीम के साथ मिल कर काम किया।
वीर बाल दिवस के मौके पर देश व दुनिया के कोने-कोने में साहिबज़ादों के इतिहास के बारे में हुआ प्रचार सरना बंधुओं से बर्दाशत नहीं हा रहा क्योंकि यह लोग ‘वीर बाल दिवस’ के स्थान पर वीर राहुल गांधी, वीर प्रिंयका गांधी, वीर सोनिया गांधी जैसे नारे चाहते थे।
देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अलावा इंडिया गेट पर कोई झांकी या मार्च पास्ट निकला हो तथा यह माच पास्ट साहिबज़ादों की शहादत को समर्पित था। यही बात सरना बंधु हज़म नहीं कर पा रहे। यह सरना बंधु कभी बादलों को गालियां निकालते थे लेकिन आज सरना बंधु बादलों के नेतृत्व को क्लीन चिट दे रहे हैं जिन पर निरादर के आरोप लगे हैं।
सरना बंधुओं व अन्य राजनीतिक विरोधियों को यह बर्दाशत नहीं हो रहा कि आज दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी का मौजूदा नेतृत्व प्रधानमंत्री व देश की अन्य गणमान्य शख्सीयतों के साथ उन स्टेजों पर क्यों बैठा है जहां वह कभी बैठते थे।
उन्होंने आगे कहा कि केवल ईर्ष्या की भावना से वीर बाल दिवस का विरोध किया जा रहा है जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। उन्होंने विरोधियों को यह भी याद दिलाया कि गुरु हरिकृष्ण साहिब जी को समूचा सिख समुदाय बाला प्रीतम कहता है लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं कि वह केवल बाल ही हैं बल्कि वह समूचे सिख जगत के गुरु हैं।
इस अवसर पर गुरमीत सिंह भाटिया, कुलविंदर सिंह, गुरमीत सिंह बेदी, भूपिंदर सिंह मिंटी, स्मार्टी चड्ढा और परमिंदर सिंह लकी सहित दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के सभी सदस्य भी उपस्थित थे।