आधा कार्यकाल बीतने पर जिला परिषद को मिली पावर, 20 करोड़ होगा बजट

हरियाणा, 31 अगस्त: प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से एक साल पहले ग्रामीण वोटरों को लुभाने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला है। पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की पावर बढ़ा दी है, जिसके लिए वे लंबे समय से मांग कर रहे थे, जबकि उनका आधा कार्यकाल भी बीत चुका है। अब जिला परिषद अध्यक्ष को सीईओ की एसीआर लिखने की पावर दी है।
पहली बार 20 करोड़ रुपए का बजट भी दिया है। कुछ विभागों के काम भी जिला परिषद को दिए जाएंगे। गांवों में पानी के बिल भी तय करेगी। गुरुवार को पंचकूला में हुई अंतर जिला परिषद की पहली बैठक में जिप, नगर परिषद अध्यक्षों, नगर निगमों के चेयरमैन और हर जिलों से एक-एक सरपंच बुलाया था।
प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने आए पदाधिकारियों के सामने सीएम के अलावा तीन मंत्री भी खूब बोले। सरकार ने जिला परिषद की बढ़ाई शक्तियों का फायदा लेने के लिए बैठक में ही इसका खूब बखान किया।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पढ़ी-लिखी पंचायत को बड़ी उपलब्धि कहा तो अंतर जिला परिषद के गठन को भी ऐतिहासिक बताया। उन्होंने सुझाव भी लिए। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और जींद से विधायक हरिचंद मिढा की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा गया।
राजस्थान की तर्ज पर सरकार विभागों के कुछ कार्य जिला परिषद देगी। वे अपने अनुसार उन कार्यों को पूरा कराएंगी। इसके लिए फंड जिला परिषद को दिए जाएंगे, लेकिन इन कार्यों की डीपीआर राज्य सरकार द्वारा तैयार कराई जाएगी, जो कार्य जिला परिषद द्वारा किए जाएंगे उनमें श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों में पक्का रास्ता, चार दीवारी, शेड और पानी की व्यवस्था करना, स्वच्छता का कार्य देखने, बस क्यू शेल्टर, मोबाइल टावर लगाना शामिल है।
पंचायती राज संस्थाओं को सोशल ऑडिट सिस्टम में भी शामिल किया जाएगा, ताकि सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर कराए जा रहे कार्यों की प्रभावी निगरानी की जा सके। इसके लिए स्टाफ भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। हरियाणा गठन को लगभग 52 वर्ष हो गए हैं। जिस प्रकार से 2014 में सत्ता सौंपी, उसी प्रकार से राजपाट करने की व्यवस्था में हमने बदलाव किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह अंतर जिला परिषद की बैठक है। वर्ष 1993-94 में संविधान में संशोधन किया था, लेकिन उस पर भी हरियाणा आगे नहीं बढ़ा। आज हमने शक्तियों का विकेंद्रीकरण करके शक्तियां शहरी व ग्रामीण स्तर की पंचायती राज संस्थानों को सौंप कर महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार किया।
1. जिला परिषद के लिए अलग से सीईओ होंगे। इससे पहले डीसी, एडीसी या एसडीएम को कार्यभार दिया जाता था। एडीसी और सीईओ का वेतन जिला परिषद के खाते से दिया जाएगा।
2. जिला परिषद के अध्यक्ष ही सीईओ की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखेंगे।
3. उपायुक्त भी डीआरडीए का सह अध्यक्ष नहीं होगा। इस तरह से जिला परिषद के सदस्य अपने सीईओ के परामर्श के साथ योजनाएं बनाएंगे।
4. जिला परिषद के लिए 20 करोड़ के बजट का प्रावधान होगा। राशि को अपने जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकेंगे।
5. प्रदेश सरकार एकल अधिकारी की नियुक्ति पर विचार कर रही है, जोकि सभी शहरी स्थानीय इकाइयों के साथ तालमेल कर सके।
6. जिलों में जिला परिषदों का अपना स्वतंत्र कार्यालय होगा। अब तक केवल 7 जिलों में ही जिला परिषद के कार्यालय हैं। डीआरडीए का कार्यालय भी उसी परिसर में होगा।
7. हर पंचायत समिति में स्वच्छता निरीक्षक नियुक्त होगा अौर जिला परिषद में इंजीनियरिंग विंग की स्थापना की जाएगी।
8. एक जिला की सभी नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के लिए एक नोडल अधिकारी स्वतंत्र रूप से नियुक्त किया जाएगा।
9. स्थानीय निकायों को जलापूर्ति, विज्ञापन के होर्डिंग, मोबाइल टावर से भी राजस्व जुटाने का दिया अधिकार।
10. पंचायती राज संस्थानों को मैचिंग ग्रांट के आधार पर सरकार की ओर से सहायता दी जाएगी।