मथुरा में मची कृष्ण जन्‍माष्‍टमी की धूम

3 September, 2018, 7:19 pm

आज पूरे देश में भगवान कृष्ण का जन्मदिन जनमाष्टमी के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है । पूरे देश में जन्‍माष्‍टमी की धूम है । मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ी हुई है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था । मथुरा-वृन्दावन में जन्‍माष्‍टमी के मौके पर नंदलाल के दर्शन करने के लिए पूरे देश से श्रद्धालु आए हैं ।

अबकी बार जन्माष्टमी का शुभ मुहर्त

अष्टमी तिथि -  2  सितंबर 2018 को रात्रि 8 बजकर 46 मिनट से शुरू हो गई थी । ये आज सोमवार 3 सितंबर 2018 को शाम 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगी ।

 रोहिणी नक्षत्र -  रोहिणी नक्षत्र 2 सितंबर 2018 रात 8 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो गया था ये । आज 3 सितंबर 2018 को 8 बजकर 4 मिनट तक रहेगा । इन सभी के संयोग में ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी ।

 

यह त्यौहार सदियों से चला आ रहा है। पूरे देश में यह बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्म से नटखट और अनोखे थे। देवकी नंदन के जन्म देने के बाद भी ये यशोदा माता के नंदलाला कहलाये। जन्म से ही इन्हे कन्हैया, श्याम, देवकीनंदन, माखनचोर श्रीकृष्ण आदि अनेक नामों से पुकारा जाता था। महभारत में ये विराट रूप के लिए प्रसिद्ध थे, जिन्हे इसके बाद जग निर्माता भी कहा गया। वही मुंबई में इस दिन दही - हांड़ी  का सेलिब्रेशन किया जाता है।

देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है । इस दिन कहीं कुछ तो कहीं कुछ बनाया जाता है । भक्त अपने आराध्य देव श्री कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाते हैं । मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान खुश होते हैं और उन्हें पूजने वालों को मनवांछित फल देते हैं । आइए हम आपको बताते हैं कि कहां क्या बनता है खास ।

कृष्ण जन्मोत्सव पर बंगाल में ताल के पकौड़ों का भोग लगाया जाता है । ताल के पत्ते के गूदे में कद्दूकस किया हुआ नारियल, चीनी, मैदा, सूजी डालकर इसे तला जाता है । बंगाल में दूध से बनने वाली कई मिठाइयां बनाई जाती हैं जैसे मलाई चमचम आदि । शिन्नी खासतौर पर बनती ही है ।

जन्माष्टमी पर गुजरात के अधिकतर घरो में बूंदी के लड्डू, रबड़ी , केसर श्रीखंड और मोहनथाल बनाया जाता है । वहीं इस दिन राजस्थान में आटे का हलवा बनाया जाता है । महाराष्ट्र में गोपालकला में बहुत फेमस है ।यह पोहा , दही, चीनी, दूध, छाछ और नमक का मिश्रण होता है । इस प्रसाद में पोहा के इस्तेमाल से श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को दर्शाया गया है । अगर मथुरा की बात करें तो वहां कृष्ण जी को पेड़े चढ़ाएं जाते हैं. इन्हें मावा, दूध, चीनी, घी और इलायची पाउडर के साथ बनाया जाता है । उत्तर प्रदेश में खासतौर पर भरपूर ड्राई-फ्रूट्स के साथ आटे और धनिये की पंजीरी बनाई जाती है । माखन मिश्री तो प्रसाद में शामिल रहती ही है ।

साउथ में प्रसाद में नेवैद्य बनाया जाता है । इसे बनाने के लिए सत्तू, गन्ने के टुकड़े और नारियल के छोटे-छोटे टुकड़े का इस्तेमाल किया जाता है । यहां चावल और उड़द दाल से बनने वाली कई डिशेस भी बनाई जाती हैं जैसे मुरकु, सीडई, मीठी सीडई, आदि । तमिलनाडु में लोग फ्रूट्स, मक्खन, दूध, दही, पोहा और गुड़ को एकसाथ मिक्स कर अप्पम और पाल पायसम के साथ देते हैं । नेवैद्य में मीठे काजू, कच्चे केले के चिप्स और केले का हलवा भी रहता है।