एलजीबीटी समुदाय को मिला 377 से छुटकारा
By सुमन सिंह
समलैंगिकता यानि के हम बात कर रहे है धारा 377 को ख़त्म करने की । गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद पूरे देश के एलजीबीटी समुदाय में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। आखिर ख़ुशी की लहर दौड़े भी क्यूँ ? ना ! गुरुवार को फैसला जो उनके हक़ में था। समलैंगिकता दरअसल हम बात कर रहे हैं एलजीबीटी (लैस्बियन , गे ,बिसेक्सुएल और ट्रांसजेंडर) अधिकारों की। भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध मानते हुए उन पर कार्रवाई की जाती थी।
अब ये भी आम लोगों की तरह ज़िंदगी जी सकेंगे। अब इनको प्यार करने के लिए जेंडर देखने की जरूरत नहीं बल्कि भावनाओं की जरुरत हैं। ‘नाज़ फाउंडेशन’ ने वर्ष 2001 में दिल्ली उच्च न्यायालय से धारा 377 को गैर-संवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। उच्च न्यायलय ने कहा कि:
- आपसी सहमति से स्थापित यौन संबंधों का अपराधीकरण न केवल लोगों के गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार को नकारना है, बल्कि यह भेदभावपूर्ण भी था ।
- समलैंगिकों को धारा 377 की वज़ह से ही समाज अपराधी के तौर पर देखता था, जो कि बेहद ही चिंताजनक था ।
नाज़ फाउंडेशन मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद समलैंगिक समुदाय को राहत तो मिली, लेकिन ज़्यादा दिन तक यह स्थिति बनी नहीं रह सकी।
अतः यह माना जा रहा है कि ‘सुरेश कौशल’ मामले की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले किसी मामले के बस नज़र में आने भर की देर थी और सर्वोच्च न्यायालय इसे प्रभावहीन बना देगा।
अगर आपको पता हो कि ‘सुरेश कौशल’ मामले में निर्णय आने के बाद से ही बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए , जहाँ समलैंगिकों को उनके परिचितों और पुलिस द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था । पिछले तीन वर्षों में इस तरह के मामलों की संख्या कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई थी।
दरअसल, समाज की मानसिकता ऐसी है कि समलैंगिकों को अपमान और भयानक तनाव से गुजरना पड़ा । ब्रिटिशर्स जिन्होंने कि यह कानून लागू किया था, उन्होंने 1960 के दशक में ही इससे छुटकारा पा लिया।
हालाँकि, अधिकांश लोगों को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी मिल गई, लेकिन एलजीबीटी समुदाय धारा 377 के कारण अभी भी गुलाम रहने को अभिशप्त था। अतः यह ज़रूरी है इस कानून को ज़ल्द से ज़ल्द खत्म किया जाए।
काफी सालों से अपने अधिकार की जंग लड़ रहे एलजीबीटी समुदाय के लोगों के लिए गुरुवारा का दिन आजादी की दिन के तरह था। ऐसा हम वहीं बल्कि समुदाय से जुड़े कई लोगों का मानना है। कोर्ट के फैसले के बाद एलजीबीटी समुदाय के बीच जश्न का माहौल देखने को मिला। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि एलजीबीटी समुदाय के लिए सभी परेशानिया खत्म हो गई है।
एलजीबीटी समुदाय ने भले ही लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन इसमें गौतम यादव ,ऋतू डालमिया, केशव सूरी, नवतेज सिंह, सुनील मेहरा आदि में सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई है।