operation Sindoor को लेकर कांग्रेस ने भाजपा से पूछे सवाल

भाजपा द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के राजनीतिकरण के प्रयासों के विरोध में और भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक हुए संघर्ष विराम पर जनता के सवालों को लेकर कांग्रेस पार्टी देशभर के लगभग 15 शहरों में 'जय हिंद' रैलियों व सभाओं का आयोजन करेगी। यह फैसला लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में लिया गया।
पहलगाम हमला खुफिया तंत्र की विफलता
बैठक में शहीद सैनिकों व पुंछ में मारे गए नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम किया गया, साथ ही सरकार से तीखे सवाल पूछे गए। कार्यसमिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि पहलगाम हमला खुफिया तंत्र की विफलता को उजागर करता है और हमलावरों की अब तक गिरफ्तारी न होना अत्यंत चिंताजनक है। प्रस्ताव में कांग्रेस ने सुरक्षा में चूक के लिए सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की, साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उस दावे पर भारत सरकार की चुप्पी को अस्वीकार्य बताया, जिसमें संघर्ष विराम को अमेरिकी दबाव का नतीजा बताया गया था। कार्यसमिति ने कहा कि यह कश्मीर मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में खतरनाक संकेत है। प्रस्ताव में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में एक मंत्री द्वारा एक महिला सेना अधिकारी पर गई आपत्तिजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग भी की गई।
संघर्ष विराम की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के माध्यम से क्यों हुई
बैठक के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश और मीडिया एवं प्रचार के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने मोदी सरकार से पूछा कि संघर्ष विराम की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के माध्यम से क्यों हुई। इसकी शर्तें क्या थीं। पहलगाम के आतंकवादी कब भारत को सौंपे जाएंगे। क्या ये संघर्ष विराम की शर्तों में शामिल था। पाकिस्तान में जो बाकी के आतंकी हैं, क्या उन्हें भारत को सौंपा जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण
जयराम रमेश ने ऑपरेशन सिंदूर के राजनीतिकरण को लेकर भी मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एनडीए के मुख्यमंत्रियों को मुलाकात के लिए बुला रहे हैं, लेकिन विपक्ष के मुख्यमंत्रियों को नहीं बुलाया जा रहा है। मोदी सरकार द्वारा असली सवालों पर चुप्पी साधी जा रही है और सुरक्षा को लेकर राजनीतिकरण किया जा रहा है।
जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि भारत-पाक संघर्ष विराम की पहली घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। अमेरिका के विदेश मंत्री कह रहे हैं कि अमेरिका की वजह से ही यह संघर्ष विराम हुआ है और भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरी जगह बात होनी चाहिए, पर भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री चुप हैं।
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार कहा कि वह सरकार और सेना के साथ चट्टान की तरह खड़ी हुई है। कांग्रेस ने आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का पूरा समर्थन किया। कांग्रेस ने मांग रखी कि सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। दो सर्वदलीय बैठकों में प्रधानमंत्री मोदी नहीं आए। कांग्रेस ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की, ताकि इसमें पहलगाम आतंकवादी हमले के ऊपर चर्चा हो और एकजुटता का सामूहिक संकल्प दुनिया को दिखाया जा सके। कांग्रेस ने 1994 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने को लेकर पारित हुए प्रस्ताव को दोबारा अपनाने की भी मांग की। लेकिन कांग्रेस की इन मांगों पर मोदी सरकार का कोई जवाब नहीं आया।
आखिर मोदी सरकार ने किस दबाव में संघर्ष विराम कर दिया।
वहीं पवन खेड़ा ने पूछा कि पूरा विपक्ष और देश की जनता सरकार के साथ खड़ी थी। आखिर मोदी सरकार ने किस दबाव में संघर्ष विराम कर दिया। अमेरिका की जमीन से डोनाल्ड ट्रंप संघर्ष विराम की घोषणा कर रहे हैं। देश की सुरक्षा और संप्रभुता का सवाल था, वहां “सौदा” और “व्यापार” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी तीसरे देश ने संघर्ष विराम की घोषणा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति आतंकवाद का जिक्र न कर कश्मीर की चर्चा कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने न केवल कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की बात की, बल्कि पाकिस्तान और भारत को एक तराजू में तौल दिया। मोदी सरकार को यह स्वीकार हो सकता है, पर कांग्रेस को यह कतई स्वीकार्य नहीं है।