वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन (GLAC) यूरोप द्वारा “The European Literary Conclave” का Kortrijk, Belgium में हुआ भव्य आयोजन।

19 June, 2025, 11:24 am

साहित्य प्रेमियों के लिए Kortrijk, Belgium से विशेष रिपोर्ट 

विगत वर्ष डेन हेग, नीदरलैंड में GLAC के भव्य शुभारंभ की सफलता के पश्चात वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन ने अपना द्वितीय साहित्यिक समारोह “The European Literary Conclav” Kortrijk, Belgium में आयोजित किया ।कार्यक्रम का आयोजन संस्था के संस्थापक कपिल कुमार(बेल्जियम) विश्वास दुबे (नीदरलैंड) एवं डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना (जर्मनी) ने किया।

डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने प्रेस को बताया कि वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन ( Global language Art and Culture Organisation - GLAC) संस्था के द्वितीय साहित्यिक समारोह के अवसर पर यूरोप के अनेक देशों के साहित्यकार, कवि, पत्रकार एवं विचारकों के साथ, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काउंसलर श्री वी नारायणन (Press, Information and Culture, Embassy of India, Brussels), संस्था के संरक्षक प्रसिद्ध कथाकार एवं साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा (ब्रिटेन ) एवं श्री विजय मालिक (President, World Human Rights Organization (WHRO)  ने स्वयं  उपस्थित होकर अपनी मंगलकामनाएं प्रेषित की।

विश्व के साहित्य सेवियों को एक सूत्र में पिरोना

कार्यक्रम का शुभारंभ नीदरलैंड के सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक विश्वास दुबे ने आमंत्रित अतिथियों के स्वागत के साथ किया। उन्होंने संस्था की पृष्ठभूमि एवं उद्देश्य को बताते हुए कहा हमारा उद्देश्य साहित्य के माध्यम से विश्व के साहित्य सेवियों को एक सूत्र में पिरोना है, GLAC भविष्य में भी ऐसे आयोजन करता रहेगा।
कार्यक्रम की शुरुआत मां  वीणा वादिनी को नमन करते हुए काउंलर श्री वी नारायणन, श्री तेजेंद्र शर्मा एवं श्री कपिल कुमार ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। पूजन के पश्चात भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का पालन करते हुए डॉ शिप्रा ने सभी  अतिथियों का स्वागत रोली अक्षत से टीका लगाकर किया।
इसके साथ ही जर्मनी की सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, लेखक एवं मीडिया प्रोफेशनल डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने मधुर कंठ से “गूंज रही है कान में वीणा की झंकार, अर्पण है मां आपको भावों का यह हार” सुंदर दोहों से मां वीणा वादिनी को नमन करते हुए काव्य संध्या को गति प्रदान की। ।

GLAC  यूरोपीय संगठन  विश्व को एक साथ मिलकर कुछ अनूठा, कुछ नवीन एवं सार्थक कार्य  में जुटा 

संगठन के महत्व को बताते हुए  कपिल कुमार ने कहा अभी तक यूरोप के अलग अलग देशों में भाषा, कला एवं संस्कृति की दिशा में अच्छा कार्य किया जा रहा था किंतु ये कार्य बिखरा हुआ था, GLAC पहला ऐसा यूरोपीय संगठन है जो सारे यूरोप को ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व को एक साथ मिलकर कुछ अनूठा, कुछ नवीन एवं सार्थक कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा एवं सभी को एक वृहद वैश्विक मंच प्रदान करेगा।कार्यक्रम के प्रथम भाग का शानदार संचालन करते हुए विश्वास दुबे ने अपनी गजलों एवं अपने काव्यात्मक संचालन द्वारा सभी विशिष्ट अतिथियों का मन मोह लिया।

जहां एक ओर नीदरलैंड के सुप्रसिद्ध युवा कवि एवं साहित्यकार मनीष पांडेय ने पितृ दिवस के अवसर पर पिता को समर्पित कविता सुनाकर सबको भावुक कर दिया, वही अपनी नई कविता
 “बचपन के वो ख्वाब मेरे तू कैसे सोया होगा…
जिस अमराई गर्मी आते आम चुराते थे हम,
 जिन सड़कों पर यारों के संग साइकिल चलाते थे हम, बचपन का वो एक खिलौना सबसे प्यारा था जो,
खोकर हमको कई दिनों तक वो भी रोया होगा” सुना कर श्रोताओं को बचपन के दिनों की याद दिला दी।


लंदन से आए प्रतिष्ठित कवि एवं गज़लकार आशुतोष कुमार ने अपनी ग़ज़लों और अपने धुंआधार शेरों से दर्शकों का मन मोह लिया, जहां उनके एक शेर “बड़ों का फर्ज है ये तो , अपना दिल बड़ा रखना”  ने जमकर तालियाँ बटोरी, वही “सुर से बिछड़े हुए साज़ है हम,
गूंगे बिछड़ों की आवाज है हम।
प्यार से सुनना हमको भी यारों,
मुख्तलिफ एक अंदाज है हम।
बात दिल खोल के मत किया कर,
रख छुपा के हमें एक राज है हम।
उनके एक से एक बेहतरीन शेर ने महफ़िल का मौसम बदल दिया।


लंदन से ही आमंत्रित प्रभु राम पर अद्भुत सृजन करने वाले सुविख्यात कवि श्री आशीष मिश्रा ने भी अपनी जोशपूर्ण कविताओं एक क्षणिकाओं से दर्शकों को सम्मोहित कर लिया। उनकी कविता
“हम क्या करने आए है, हम कविता सुनने आए है।
 कुछ गीत सुनाने आए है, ये शाम बनाने आए है।
 शब्दों के स्पंदन से, भावों के चंदन से।
 मां सरस्वती के वंदन से,बेल्जियम अभिनंदन से।
हम गीत सुनाने आए है, और “ राम भरोसे जीवन नैया, समय कराता ता ता थैया”
जैसी सार्थक रचनाओं ने दर्शकों को आनंदित कर दिया।


इस अवसर पर संस्था की सह संस्थापक डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने अपने काव्य पाठ का आरंभ अहमदाबाद विमान दुर्घटना की मृतकों की पुण्यात्माओं को, सभी के साथ मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करके की। उन्होंने कहा ईश्वर मृतकों के परिजनों को इस असहनीय दुख सहने की हिम्मत प्रदान करें। ये एक कठिन समय है, इस हृदय विदारक घटना ने सबको झकझोर दिया है। अपने गीत एवं मुक्तकों के माध्यम से उन्होंने विश्व शांति की स्थापना, सद्भावना, प्रेम एवं अपने हिस्से को कोशिश जारी रखने पर विशेष जोर दिया। जहां एक ओर उनकी रचना “गैरो की पीड़ा को समझूं, इतनी तो गहराई देना। देने वाले जब भी देना दिल में बस अच्छाई देना” ने दर्शकों की भावनाओं को उद्वेलित किया, वही अपनी शानदार प्रस्तुति से  झूमने पर मजबूर भी कर दिया।

सतरंगी भावों से परिपूर्ण इस विशेष काव्य समारोह में विश्वास दुबे ने इश्क के रंग बिखेर दिए। उनकी नज़्म
मुझे पता है वो आज भी, उस पर मारता होगा।
छुपकर कर रहा है इश्क़, दुनिया से डरता होगा।
ने दर्शकों को इश्कियत से सराबोर कर दिया।
वहीं “इश्क मोहब्बत प्यार सब बेकार, इजहार और इकरार सब बेकार।
ग़ज़ल ने दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने कहा आभासी दुनिया से निकलकर हकीकत में मिलना सुखद है।


कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान करते हुए श्री कपिल कुमार ने अपनी बेहतरीन गजलों से लोगों को मोहित कर लिया।
“ये दिले बेकरार बाकी है जिंदगी का कुमार बाकी है”
वक्त ने सारे ख्वाब तोड़ दिए, डूबी कश्ती सवार बाकी है।

 हर शेर पर उन्होंने दर्शकों की वाहवाही लूटी।


काव्य समारोह के अंत में संस्था के संरक्षक ब्रिटेन के सुविख्यात कथाकार श्री तेजेंद्र शर्मा ने आयोजक मंडल को बधाई देते हुए कहा बेल्जियम जैसे देश में साहित्यिक आयोजन में इतने सारे देशों से कवियों एवं हिंदी प्रेमी श्रोताओं का शामिल होना पूरी यूरोपियन यूनियन का सम्मिलित होने जैसा है। उन्होंने कहा “हमें मिलजुल कर इस तरह का वातावरण पैदा करना होगा, जिससे भारत तक आवाज पहुंचे, कि हम विश्व में कही भी रहे एक भारत हमारे दिलों में जिंदा है।

अहमदाबाद विमान दुर्घटना पर दुख जताते हुए तेजेंद्र शर्मा ने कहा मैने 21 वर्षों तक एयर इंडिया में कार्य किया है, मुझसे ज्यादा इन परिस्थितियों को कोई नहीं समझ सकता। लोगों को धैर्य और संयम रखना चाहिए, दुख का विषय है जिसे कुछ नहीं पता वो भी एविएशन एक्सपर्ट बना हुआ है।
विमान के ब्लैक बॉक्स से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को साझा करते हुए उन्होंने कहा हम सब इस घटना से प्रभावित हुए है।

साहित्य के विषय में अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा कविता हो या ग़ज़ल 2वे प्रोसेस है। कविता लिखने के लिए गुण चाहिए किंतु कहानी लिखने के लिए गुण के साथ मेहनत भी करनी पड़ती है। कवि, लेखक, पत्रकार की अपनी भूमिकाएं है। पत्रकार जब जो जैसा हुआ बता देता है।लेखक घटना को संजो लेता है, कहानियां वाइन की तरह पकती है, घटना नहीं “how everybody cash the crash” ये कहानी है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कहानी लेखन के लिए घटना के पीछे की मारक परिस्थितियों को पकड़ना होगा।  सकारात्मक लेखन के लिए मनुष्य का अच्छा होना पहली शर्त है।
अपनी ग़ज़ल “काश्मीर को जन्नत कहते है “ से वो कहते है..
सवाल ये नहीं कि विवाद कितने है,
सवाल ये है कि हम जमाने को क्या दिखाते है।!

तेजेंद्र जी ने लेखकों को संदेश देते हुए कहा लेखक के लिए संवेदनशीलता जरूरी है, सोच कर महसूस करना भी अनिवार्य है। साथ ही सरल शब्दों में बात को कहना भी जरूरी है।
अपने वक्तव्य को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा
“दिल में जब दर्द जगा हो तो लिखा जाता है।
खुद को इंसान बनाओ तो लिखा जाता है।”


इस अवसर पर काउंसलर वी नारायणन जी ने डॉ शिप्रा शिल्पी एवं विश्वास दुबे की पुस्तकों का लोकार्पण  किया।
कार्यक्रम में साहित्य के प्रति अभिरुचि रखने वाले इटली से श्रीमती एवं श्री मान पाउलो, श्रीमती एवं श्री डोमिनिक बेल्जियम से आए विशिष्ट अतिथि श्री विजय मालिक, श्रीमती एवं श्री पॉल, श्री राम कुमार नागपाल,श्री मुकेश जुनेजा, श्री हिम्मत धमीजा, श्री राजेश कोहली, श्री रवि मालिक, श्री परवेश भटियानी , श्री ननद राज की भी उपस्थिति रही।
GLAC द्वारा सभी विशिष्ट अतिथियों को फूल, माला एवं प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम के अंत में कपिल कुमार ने सभी आमंत्रित अतिथियों एवं संस्थाओं को धन्यवाद ज्ञापन किया।