असली समस्या विचारों की कमी है, न कि मतभेद: 'मराठा स्वतंत्रता संग्राम' पुस्तक के विमोचन पर नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी कला केन्द्र के सभागार में आयोजित समारोह में शोधकर्ता और लेखक अभास वर्मा की लिखी नई पुस्तक 'मराठा वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' का विमोचन किया। इस पुस्तक में भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण लेकिन उपेक्षित अध्याय को उजागर किया गया है। लेखक अभास वर्मा ने इस पुस्तक में छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान के बाद मुगलों के खिलाफ मराठा प्रतिरोध का वर्णन किया है .यह पुस्तक इस भूले बिसरे कालखंड की सैन्य दृढता , प्रशासनिक निरंतरता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के दृष्टिकोण से पुनर्निमित करती है .और इसे भारत का पहला संगठित स्वतंत्रता संग्राम बताया गया है।
असली समस्या विचारों की कमी है, ना कि मतभेद: नितिन गड़करी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक दूरदर्शी नेता थे .जिन्होंने हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी जो न्याय, समानता और सांस्कृतिक गर्व पर आधारित शासन का मॉडल था .वे सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्ष थे .सभी धर्मो का सम्मान करते थे, और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया दुर्भाग्य से ब्रिटिश इतिहासकारों ने चुनिंदा दस्तावेजीकरण और डायरी लेखन के माध्यम से हमारे इतिहास को तोड़ा मरोड़ा. आज असली चुनौती विचारों का संघर्ष नहीं बल्कि विचारों की शून्यता है. हमें नई पीढ़ी को सच्चा, तथ्यों पर आधारित इतिहास प्रस्तुत करना चाहिए ताकि एक सशक्त और आत्मजागरूक भारत का निर्माण हो सके।
इस कार्यक्रम में लेखक और इतिहासकार श्री उदय माहूरकर, ऑर्गेनाइजर साप्ताहिक के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर, गरुड़ प्रकाशन के संस्थापक श्री संक्रांत सानू और लेखक अभास वर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे. प्रख्यात विद्वान पदमश्री प्रोफ़ेसर भरत गुप्त ने भी मौजूद थे ।
श्री उदय माहुरकर ने कहा यह संग्राम भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहलाने योग्य है क्योंकि यह औरंगजेब की मृत्यु 1707 के साथ मुगल साम्राज्य के अंतिम विघटन की प्रक्रिया की शुरुआत करता है और मराठा साम्राज्य की नींव रखता है जिसमें मराठाओं ने लगभग 50 वर्षों तक दिल्ली के मुगल सिंहासन को नियत्रित किया. यह पुस्तक भारत के दो महान योद्धाओं संताजी घोरपडे और धनाजी जाधव को जीवंत करती है. जिन्होंने अपने पराक्रम से मुगलों को झकझोर छोड़ दिया और औरंगजेब को भी भयभीत किया लेकिन जिनके नाम आज के भारत को ज्ञात नहीं है