MRM बैठक: विश्व शांति, हरित भारत, नशा मुक्ति और लोकतंत्र बचाने का संकल्प

28 June, 2025, 8:59 pm

नई दिल्ली, 28 जून। देश में सकारात्मक बदलाव, सामाजिक सुधार और वैश्विक शांति की दिशा में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। शनिवार को नई दिल्ली के पहाड़गंज स्थित मंच के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित विशेष बैठक में मंच ने पर्यावरण संरक्षण से लेकर नशामुक्त समाज और लोकतंत्र की मजबूती तक कई ऐतिहासिक संकल्प लिए। “मां के नाम पेड़”, “नशा मुक्त भारत” और “वैश्विक शांति का आह्वान” जैसे अभियानों के माध्यम से यह बैठक एक सामान्य संगठनात्मक चर्चा से आगे बढ़कर राष्ट्रहित में जागरूकता और जिम्मेदारी का संदेश बन गई।


संकल्प से क्रांति तक: शुरुआत नई दिशा की

मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में देशभर से आए राष्ट्रीय संयोजकों, प्रदेश संयोजकों, विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रमुखों ने भाग लिया। राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने कहा कि यह एक नई शुरुआत है — हम भारत को और ज़िम्मेदार, स्वच्छ और एकजुट बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पूरे भारत के लिए नैतिक चेतना का भी केंद्र है। आज हर छोटे बड़े मुद्दे पर देश की नज़र मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ होती है, जहां से हमेशा शांति, सद्भाव, एकता, अखंडता, भाईचारा, प्रेम, प्रगति और समृद्धि का रास्ता निकलता है। यह मंच सिर्फ मुस्लिम समुदाय का मंच नहीं, राष्ट्रहित में सोचने वाला एक समावेशी विचार मंच है — जो दिल से देश को जोड़ता है।

हरित भारत, एक पेड़ मां के नाम

बैठक में सबसे प्रेरणादायक और भावनात्मक प्रस्ताव था – “हर साल अपनी मां के नाम एक पेड़ लगाएं।” इसे नाम दिया गया “हरित भारत, एक पेड़ मां के नाम”। यह पहल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के अलावा मां के प्रति सम्मान और धरती के प्रति जिम्मेदारी को जोड़ने वाली एक सांस्कृतिक क्रांति है। वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह मां हमें जीवन देती है, उसी तरह एक पेड़ भी धरती पर जीवन को पोषित करता है। इस अभियान को स्कूलों, मदरसों, मस्जिदों, मोहल्ला समितियों और युवाओं के माध्यम से पूरे देश में फैलाने की योजना है। यह पहल देश के नागरिकों में भावनात्मक और पर्यावरणीय जुड़ाव एक साथ लाने का प्रयास है।

नशा मुक्त भारत: युवाओं को बर्बादी से बचाने की सच्ची पहल

बैठक में देश की युवा पीढ़ी में बढ़ते नशे के खतरे पर गहरी चिंता जताई गई। मंच ने सर्वसम्मति से "नशा छोड़ो, देश जोड़ो" नाम से एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने का फैसला लिया। मंच के अनुसार नशा न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज की उत्पादकता और सामाजिक तानेबाने के लिए भी गंभीर खतरा है। इस अभियान के अंतर्गत मस्जिदों, स्कूलों, पंचायतों और डिजिटल मीडिया के ज़रिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके लिए मंच एक वॉलंटियर टास्क फोर्स बना रहा है, जो जागरूकता अभियान, काउंसलिंग और हेल्पलाइन सेवा शुरू करेगी। यह मुहिम मुस्लिम समाज से शुरू होकर पूरे भारत के युवाओं को प्रभावित कर सकती है।

वैश्विक शांति का संदेश: युद्ध नहीं, संवाद चाहिए

बैठक में दुनिया के कई देशों में चल रहे युद्ध और हिंसा पर भी गहरी चिंता जताई गई। मंच ने कहा कि रूस, यूक्रेन, फिलीस्तीन, इज़राइल, तुर्की, सीरिया, मिस्र ईरान और सूडान जैसी जगहों पर हो रही हिंसा मानवता के खिलाफ है। मंच ने स्पष्ट किया कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है – ये केवल विनाश लाते हैं। मंच ने दुनिया से अपील की कि भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम” की सोच को अपनाएं, जिसमें सभी को एक परिवार माना जाता है। मंच ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा कि अब युद्ध नहीं, संवाद और सहअस्तित्व की नीति को अपनाना ज़रूरी है।

आपातकाल था लोकतंत्र का नरक काल

बैठक में 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारत के लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय और लोकतंत्र का नरक काल बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र शासन की व्यवस्था के साथ साथ जनता की आवाज़ है — जिसे कभी भी जबरन नहीं दबाया जा सकता। मंच ने कहा कि आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर हर भारतीय को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि जब भी कोई सत्ता में बैठा शासक लोगों की आवाज़ को दबाता है, देश को नैतिक, वैचारिक और सामाजिक नुकसान उठाना पड़ता है।

भविष्यनीति: ज़िला और पंचायत स्तर तक पहुंचेगा अभियान

मंच ने घोषणा की कि “हरित भारत, एक पेड़ मां के नाम” और “नशा मुक्त भारत” जैसे अभियानों को हर ज़िले, ब्लॉक और ग्राम पंचायत तक पहुँचाया जाएगा। इसके लिए एक डिजिटल ट्रैकर प्लेटफॉर्म तैयार किए जाने की बात भी उठी, जिससे नागरिकों की भागीदारी दर्ज की जा सके। साथ ही, "शांति टोली" नाम की एक युवा टीम बनाने की भी चर्चा हुई जो पूरे देश में घूम-घूमकर शांति, सद्भाव और एकता का संदेश दे। टोली का काम समाज में भाईचारे और संवाद की संस्कृति को आगे बढ़ाने का हो।

शाहिद अख्तर ने प्रस्तुत किए सभी प्रस्ताव

बैठक में सभी प्रमुख प्रस्ताव — “हरित भारत, एक पेड़ मां के नाम”, “नशा छोड़ो देश जोड़ो”, वैश्विक शांति का संदेश, लोकतंत्र की सुरक्षा और संगठन की भविष्यनीति — प्रो. शाहिद अख्तर ने क्रमवार ढंग से प्रस्तुत किए। सभी विषयों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ और सभी प्रस्तावों को एकमत से पारित किया गया। यह मंच की आंतरिक एकता और प्रतिबद्धता का प्रमाण था।

मंच की अखिल भारतीय उपस्थिति

बैठक में देशभर से मंच के कई प्रमुख कार्यकर्ता और प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें प्रमुख नाम हैं: मोहम्मद अफजाल, प्रो. शाहिद अख्तर, गिरीश जुयाल, रज़ा हुसैन रिजवी, विराग पाचपोर, शाहिद सईद, इस्लाम अब्बास, अबु बकर नकवी, इरफान अली पीरजादा, एस के मुद्दीन, डॉ. शालिनी अली, रेशमा हुसैन, तसनीम पटेल, मौलाना कोकब,हाफिज साबरीन, इमरान चौधरी, फैज़ खान, शाकिर हुसैन, डॉ. आसिफ अली, अल्तमश बिहारी, कल्लू अंसारी, अंजुम अंसारी, शहनाज़ अफजाल, मीर नज़ीर, दादू खान, आशिद खान, डॉ. शाइस्ता, ताहिर शाह, चांदनी शाह, शफकत कादरी और शेर अली खान। इनकी सक्रिय उपस्थिति ने साबित किया कि मंच की उपस्थिति और प्रभाव पूरे भारत में तेजी से बढ़ रहा है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की यह बैठक केवल प्रस्तावों की सूची नहीं थी। यह एक नई सोच और बदलाव का बीज थी। “हरित भारत, एक पेड़ मां के नाम” और “नशा छोड़ो, देश जोड़ो” जैसे संकल्प अगर ज़मीन पर पूरी ईमानदारी से उतारे जाएं, तो यह आंदोलन भारत में एक सांस्कृतिक और सामाजिक क्रांति का आधार बन सकते हैं