, अनुपमा त्रिपाठी ' सुकृति की नई कविता
3 July, 2025, 8:38 pm

भीड़ से भागते हुए दूर कहीं .....
सुकून की तलाश में
कभी फिर
भीड़ तक ही पहुँच जाते हैं हम !!
फिर कुछ किस्सों में
भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं हम...
तब
भीड़ की कहानी
भीड़ ही कहती है
भीड़ ही सुनती है
भीड़ ही हँसती है
भीड़ ही रोती है…!!
और
किस्सा ही बन कर रह जाते हैं हम!!
सम्भावनाओं को
तलाशते हुए
इस तरह
दुनिया की भीड़ में
अनगिन राहों की
भूल भुलैया में......
कहीं खो न जाएँ हम
चलो भीड़ से आगे बढ़ें
रफ़्तार चुने राह चुने
थाम लें हाथ...
सजायें मुहब्बत के सपने
सहें पीर फिर से
कि चोट पर दिल की
इस तरह लगाएँ मरहम......
चलो मुहब्बत के गीत गाएँ हम!!
अनुपमा त्रिपाठी
' सुकृति '