भक्ति में डूबी दिल्ली: राजधानी में निकली सांकेतिक आषाढ़ी वारी, विठ्ठल नाम में रंगे श्रद्धालु

6 July, 2025, 7:49 pm

 

नई दिल्ली, 6 जुलाई 2025 | Broadcast Mantra ब्यूरो

राजधानी दिल्ली में आज आषाढ़ी एकादशी के पावन अवसर पर आयोजित 5वीं सांकेतिक वारी में भारी संख्या में दिल्लीवासियों ने भाग लिया। पारंपरिक वेशभूषा में, माथे पर तिलक और हाथों में भगवा ध्वज लिए श्रद्धालु विठ्ठल-नाम के कीर्तन में डूबे दिखे। बारिश के बीचभेटी लागी जीवा लागलीसे आस” की गूंज ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।

यह वारी सुबह 6 बजे बाबा खड़क सिंह मार्ग स्थित श्री हनुमान मंदिर से शुरू होकर आर.के.पुरम सेक्टर-6 के विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर तक लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सम्पन्न हुई।

भक्तों की उमड़ी भीड़, सांसद भी हुए शामिल

वारी में दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी, महाराष्ट्र से सांसद श्री धैर्यशील पाटील, महाराष्ट्र सदन की सचिव आर. विमला, इंदिरा गांधी कला केंद्र के सचिव सच्चिदानंद जोशी, पूर्व सांसद विनय सहस्रबुद्धे सहित केंद्र सरकार में कार्यरत कई मराठी अधिकारी भी शामिल हुए।

विठ्ठल-नाम से गुंजे दिल्ली के रास्ते

वारी का मार्ग:
हनुमान मंदिर → कनॉट प्लेस → गोल डाकखाना → डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल → तीन मूर्ति चौराहा → 11 मूर्ति → सरदार पटेल मार्ग → कौटिल्य मार्ग → शांति पथ → मोतीबाग फ्लाईओवर → राव तुलाराम मार्ग → मेजर सोमनाथ पथ → सागर सिनेमा → तमिल संगम → विठ्ठल मंदिर, आर.के. पुरम।

समापन के अवसर पर विठ्ठल मंदिर में भव्य महापूजा का आयोजन हुआ।

5 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा

दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान के सदस्य पिछले 5 वर्षों से यह सांकेतिक वारी आयोजित कर रहे हैं। संस्था के सदस्य आषाढ़ी एकादशी से पूर्व आळंदी से पंढरपूर की यात्रा पूर्ण कर, विठ्ठल का आशीर्वाद लेकर इस सांकेतिक वारी में भाग लेते हैं। प्रतिष्ठान के श्री वैभव डांगे ने बताया कि इस परंपरा को दिल्ली में और मजबूत किया जा रहा है।

शांतिपूर्ण और अनुशासित वारी बनी उदाहरण

करीब 1500 भक्तों की यह वारी अत्यंत अनुशासन के साथ निकाली गई। दिल्ली पुलिस का कड़ा सुरक्षा प्रबंध था और रास्तेभर श्रद्धालुओं को पेयजल, नींबू पानी और फल आदि वितरित किए गए। दिल्लीवासियों के लिए यह वारी न सिर्फ एक आध्यात्मिक अनुभव बनी, बल्कि एक संगठित आयोजन का आदर्श भी बनी।

दिल्ली में पनप रही भजनी मंडलों की संस्कृति

इस वर्ष की वारी में तीन भजनी मंडल भी शामिल हुए — एक महिलाओं का, दूसरा मराठी युवाओं का और तीसरा 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों का। इनके मधुर भजनों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और वारी को पूर्ण रूप से भक्तिमय बना दिया।