“नो मोर पाकिस्तान” अब राष्ट्रव्यापी अभियान

14 July, 2025, 9:12 pm

“नो मोर पाकिस्तान” अब राष्ट्रव्यापी अभियान

आम सभा के प्रथम सत्र में आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। देशभर की इकाइयों ने “नो मोर पाकिस्तान”, “अखंड भारत संकल्प”, “नशा मुक्त भारत” और “साइबर अपराध जागरूकता” जैसे विषयों पर प्रस्तावित अभियानों की जानकारी दी।

प्रमुख योजनाएं इस प्रकार रहीं:

14 अगस्त को अमृतसर, पटियाला, जम्मू-कश्मीर, कानपुर सहित विभिन्न शहरों में “नो मोर पाकिस्तान” पर जनजागरूकता कार्यक्रम।

पठानकोट, लुधियाना, जालंधर में नशा मुक्ति अभियान।

“हिन्द से हिमालय”, “नारी शक्ति जागरूकता अभियान” जैसे अभियानों को संगठित रूप देने पर सहमति।


गोरखपुर से कुशीनगर तक राष्ट्रभक्ति की नई लहर

गोरखपुर विभाग द्वारा राष्ट्रभक्ति कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला की घोषणा की गई:

10 अगस्त – प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक

13–17 अगस्त – “नो मोर पाकिस्तान” अभियान (दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, एम.एम. अभियांत्रिकी महाविद्यालय)

26 जनवरी – “अब अनुशासन ही राष्ट्र का जीवन है” विषयक व्याख्यान

16 फरवरी – कुशीनगर से पिथौरागढ़ तक “शौर्य यात्रा”

23 जनवरी 2026 – “भारत भूमि को प्रणाम” (नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती)

14 अप्रैल 2026 – संविधान दिवस (बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती)


श्रीगंगानगर से जम्मू तक “विशाल भारत यात्रा”

पश्चिमी भारत की इकाइयों द्वारा 14 अगस्त को “अमर भारत अभियान” और “विशाल भारत भूमि स्पर्श कार्यक्रम” आयोजित किया जाएगा।
5–15 अगस्त के बीच विभिन्न संवाद कार्यक्रम और स्थानीय आयोजन होंगे। यह यात्रा वडोदरा से शुरू होकर 19 अगस्त को जम्मू में विशाल राष्ट्रभक्ति मार्च के साथ समाप्त होगी।

प्रतिनिधियों की भागीदारी

इस सभा में मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी, राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ, शिक्षाविद, सेवानिवृत्त अधिकारी, युवा प्रतिनिधि और देशभर की 50 से अधिक इकाइयों से आए प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की यह आम सभा केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं रही, बल्कि यह भारत की भावी रणनीति, सांस्कृतिक एकता और युवा शक्ति के संगठित प्रदर्शन का परिचायक रही। ‘नो मोर पाकिस्तान’ अब सिर्फ एक नारा नहीं, एक संगठित और निर्णायक राष्ट्रीय अभियान बन चुका है।

इससे पूर्व, आम सभा के दूसरे दिन का आयोजन दिल्ली के बख्तावरपुर में हुआ, जिसमें जल, सीमाई स्थिरता और राष्ट्र सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मार्गदर्शक डॉ इंद्रेश कुमार ने कहा कि जल युद्ध प्रारंभ हो चुका है और आने वाले समय में जल एक बड़ा हथियार साबित होगा; सिंधु, ब्रह्मपुत्र और गंगा जैसी नदियां हमारी सांस्कृतिक आत्मा हैं और इनकी रक्षा राष्ट्र रक्षा के समकक्ष है। उन्होंने कहा कि जिस सिंधु के नाम पर देश का नाम हिंदुस्तान पड़ा, उसी जल को पाकिस्तान हमारे विरुद्ध हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है, जबकि ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांध निर्माण से पूर्वोत्तर भारत को बाढ़ और सूखे का गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस दिन सात क्षेत्रों की 45 इकाइयों ने अपने-अपने वार्षिक कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें विभिन्न अभियानों की प्रगति और विस्तार की जानकारी साझा की गई। दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मेजर जनरल सुरेश भट्टाचार्य ने भारत की वैश्विक स्थिरता में उभरती भूमिका पर बोलते हुए कहा कि भारत अब केवल सैन्य या आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में भी उभर रहा है, वहीं मेजर अनुज माथुर ने ‘नो मोर पाकिस्तान’ को केवल नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रनीति में परिवर्तित करने की आवश्यकता पर बल दिया। जल राजनीति विशेषज्ञ डॉ. रॉबिन हिस्सांग ने 'वाटर बॉम ऑफ चाइना' को भारत की सुरक्षा के लिए एक मौन लेकिन विध्वंसक खतरा बताया, जो तिब्बत में चीन द्वारा जल प्रवाह नियंत्रित करने की रणनीति से उत्पन्न हो रहा है। इस दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव प्रो. डॉ. महताब आलम रिजवी ने ‘हिन्द से हिमालय’ विषय पर बोलते हुए कहा कि हिमालय केवल भौगोलिक सीमा नहीं, भारत की सांस्कृतिक आत्मा है, और वहाँ रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा, गरिमा और अधिकारों की रक्षा करना भारत की सबसे पहली राष्ट्रीय जिम्मेदारी है; उन्होंने चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में गांव बसाने, नाम बदलने और बुनियादी ढांचे के निर्माण को भारत की संप्रभुता और स्थानीय मानवाधिकारों पर सीधा आक्रमण बताया। हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी संजय कुल्लू ने भारत की सीमाओं को पहले की तुलना में अधिक सुदृढ़ बताते हुए कहा कि आज हम सीमाओं तक सड़क और सुविधाएं पहुंचा रहे हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा परिवर्तन है। दूसरे दिन के चौथे सत्र में आगामी वर्ष की कार्ययोजना, सदस्यता अभियान को तेज़ करने और राष्ट्रव्यापी अभियानों को संगठित स्वरूप देने पर चर्चा हुई तथा दिन का समापन एक सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ जिसमें भारत की विविधता, एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया।