भारत प्लास्टिक व्यापार में बनाएगा बड़ा मुकाम, 1300 अरब डॉलर के ग्लोबल मार्केट में बढ़ाएगा हिस्सेदारी

17 July, 2025, 7:51 pm

नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025: भारत अब वैश्विक प्लास्टिक उद्योग में बड़ी छलांग लगाने को तैयार है। देश ने अगले तीन वर्षों में प्लास्टिक निर्यात को चार गुना बढ़ाने और 1300 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। यह संकल्प हाल ही में दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIPMA) के राष्ट्रीय सम्मेलन में सामने आया।

सम्मेलन में केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत को 'प्लास्टिक हब' बनाने की राष्ट्रीय रणनीति का खाका पेश किया। केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. रजनीश ने कहा कि “एमएसएमई भारत की आर्थिक रीढ़ है, जो जीडीपी में 30% योगदान देता है और 28 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है।”

उन्होंने बताया कि दो वर्षों में एमएसएमई की संख्या 1.6 करोड़ से बढ़कर 6.5 करोड़ हो गई है। इसी तरह क्रेडिट गारंटी योजना में मात्र दो वर्षों में 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित हुआ है।

प्लास्टिक उद्योग पर फोकस करते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मिश्रा ने कहा कि फिलहाल भारत का प्लास्टिक निर्यात 4.5 अरब डॉलर का है जबकि आयात 5 अरब डॉलर का। सरकार का लक्ष्य व्यापार घाटा खत्म कर भारत को प्लास्टिक निर्यातक देश बनाना है।

उन्होंने बताया कि नए एफटीए समझौतों के जरिए अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के बाजारों में भारत को टैरिफ रियायतें मिलेंगी। साथ ही निर्यात में गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

AIPMA के चेयरमैन अरविंद मेहता ने कहा कि वैश्विक प्लास्टिक फिनिश्ड उत्पाद बाजार 1300 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 1.2% यानी 12.5 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि भारत को अब ‘मेक इन इंडिया’ से आगे बढ़कर ‘ब्रांड इंडिया’ बनाना है।

AIPMA अध्यक्ष मनोज शाह ने जानकारी दी कि संगठन इस साल तीन बड़े राष्ट्रीय सम्मेलन और वर्ष के अंत में प्लास्टीवर्ल्ड अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन करेगा। इसमें मेडिकल, ऑटोमोबाइल, पैकेजिंग और घरेलू प्लास्टिक उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।

भारत में फिलहाल 50,000 से अधिक प्लास्टिक एमएसएमई इकाइयाँ कार्यरत हैं, जो 46 लाख रोजगार देती हैं। चार गुना निर्यात लक्ष्य के बाद यह आंकड़ा 60 लाख तक पहुँच सकता है।

अधिकारियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत केवल प्लास्टिक का उत्पादन केंद्र नहीं, बल्कि गुणवत्ता, नवाचार और निर्यात का वैश्विक हब बनने के लिए पूरी तरह तैयार है।