पहले बुद्ध के संदेश को स्वयं जिएं, तभी उसे दुनिया तक ले जाएं – गेशे दोरजी डमडुल

नई दिल्ली, 1 अगस्त।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के बृहत्तर भारत एवं क्षेत्रीय अध्ययन विभाग द्वारा 'Footsteps of the Buddha: A Sacred Map' नामक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शनी भगवान बुद्ध के जीवन, चार प्रमुख तीर्थस्थलों (लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर) और उनके करुणा-संदेश की एशिया में यात्रा को समर्पित है। प्रदर्शनी में वर्षभर की शोध और कलात्मक प्रक्रिया से तैयार किया गया हस्तनिर्मित फाइबर मैप प्रस्तुत किया गया है।
प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि वेनेरेबल गेशे दोरजी डमडुल ने किया। उन्होंने कहा, "जब तक हम करुणा को अपने घर में नहीं जिएंगे, तब तक उसे दुनिया तक नहीं ले जा सकते। जैसे कोई सोना न होते हुए उसका निर्यात नहीं कर सकता, वैसे ही बुद्ध का ज्ञान पहले हमें स्वयं अपनाना होगा।"
इस अवसर पर मंगोलिया और वियतनाम से आए बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों के साथ-साथ संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती लिली पांडेय, IGNCA के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, प्रो. धर्मचंद चौबे, श्री बलमुकुंद पांडे, श्री श्याम परांडे, श्री रविंद्र पंत, डॉ. प्रियंका मिश्रा और डॉ. अजय मिश्रा उपस्थित थे।
संयुक्त सचिव श्रीमती लिली पांडेय ने बताया कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री के ‘संस्कृति वापसी’ अभियान के तहत हाल ही में भगवान बुद्ध से जुड़ी पवित्र अस्थियाँ एक अंतरराष्ट्रीय नीलामी से भारत वापस मंगवाई हैं। यह सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इन अस्थियों और इस प्रदर्शनी के मॉडल को एक भव्य प्रदर्शनी में जोड़ा जाएगा।
डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह प्रदर्शनी युवाओं के लिए एक शिक्षाप्रद अवसर है कि वे जानें कि कैसे भगवान बुद्ध का संदेश सीमाओं को पार कर सभ्यताओं का हिस्सा बना और आज भी प्रासंगिक बना हुआ है।
प्रोफेसर धर्मचंद चौबे ने कहा कि यह प्रदर्शनी एक भौगोलिक मानचित्र मात्र नहीं, बल्कि उन संतों और विद्वानों की गाथा है जिन्होंने बुद्ध के संदेश को पर्वतों, रेगिस्तानों और समुद्रों को पार कर पूरी दुनिया तक पहुँचाया।
प्रदर्शनी 15 अगस्त 2025 तक IGNCA, दिल्ली में आमजन के लिए खुली रहेगी। यह न सिर्फ एक दृश्य यात्रा है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत और विश्व मित्र बनने की भूमिका का साक्ष्य भी है।