64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 6 अगस्त से 15 सितंबर 2025 तक हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी।

6 August, 2025, 12:38 pm

 

 नई दिल्ली | 6 अगस्त 2025

भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और कलाकारों की आजीविका को सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ललित कला अकादमी ने 5 अगस्त को 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पहली बार पुरस्कार प्राप्त कलाकृतियां बिक्री के लिए उपलब्ध कराई गई हैं।

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रवींद्र भवन, नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उनके साथ संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और ललित कला अकादमी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कला को आत्मनिर्भरता से जोड़ने की पहल

अपने उद्घाटन भाषण में मंत्री श्री शेखावत ने कहा,

“यह प्रदर्शनी केवल कला प्रदर्शित करने का मंच नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक संगम है। कृतियों की बिक्री को प्रोत्साहित करने का निर्णय कलाकारों के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता का मार्ग खोलेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि कला अब केवल संग्रहालयों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन, शिक्षा, पर्यटन और रोजगार का भी माध्यम बन चुकी है।

5,900 प्रविष्टियों में से 283 का चयन

इस वर्ष देशभर से आई 5,900 प्रविष्टियों में से 283 कृतियों का चयन दो-स्तरीय जूरी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। इन कृतियों में पेंटिंग, मूर्तिकला, ग्राफिक्स, इंस्टॉलेशन और फोटोग्राफी सहित कई माध्यम शामिल हैं।

सम्मान और प्रकाशन विमोचन

समारोह में 20 पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। साथ ही वरिष्ठ कलाकार श्री कृष्ण खन्ना, श्री राम वी. सुतार और श्रीमती इरा चौधरी को भारतीय कला में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण प्रकाशन भी जारी किए गए:

64वीं NEA कैटलॉग – प्रदर्शनी की कृतियों और कलाकारों का विवरण“प्रिंटमेकर फॉर ऑल सीज़न्स” – पद्मश्री श्याम शर्मा के जीवन पर आधारित विशेष पुस्तक

प्रदर्शनी आम जनता के लिए खुली

प्रदर्शनी 6 अगस्त से 15 सितंबर 2025 तक हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। यह प्रदर्शनी भारतीय कला की विविधता, गहराई और आधुनिकता को एक मंच पर प्रस्तुत करती है।

 ललित कला अकादमी: एक दृष्टि में

1954 में स्थापित ललित कला अकादमी, भारत की प्रमुख दृश्य कला संस्था है, जो पारंपरिक, आधुनिक और समकालीन कला को संरक्षित, प्रोत्साहित और प्रदर्शित करने का कार्य करती है। यह कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से जोड़ने और कला-संवाद को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।