भारत साइबर अपराध और डीपफेक से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार: सरकार

8 August, 2025, 6:16 pm

 

नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 — केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि भारत बदलते ऑनलाइन खतरों, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डीपफेक और साइबर अपराधों से निपटने के लिए पूरी तरह सुसज्जित है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि आईटी एक्ट 2000, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023, और भारतीय न्याय संहिता 2023 जैसे कानून, साथ ही ग्रेविएंस अपीलेट कमेटी (GAC), CERT-In और I4C जैसे संस्थान मिलकर एक बहु-स्तरीय साइबर प्रतिक्रिया प्रणाली चला रहे हैं।

डीपफेक और एआई से जुड़े खतरे

सरकार ने माना कि एआई से तैयार किए गए फर्जी ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट किसी व्यक्ति की गरिमा, प्रतिष्ठा और निजता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इससे प्लेटफॉर्म अकाउंटेबिलिटी पर भी सवाल उठते हैं।

मुख्य कानूनी प्रावधान

  • आईटी एक्ट 2000: पहचान की चोरी, प्रतिरूपण, अश्लील सामग्री, गोपनीयता उल्लंघन और खतरनाक कंटेंट ब्लॉक करने के अधिकार।

  • आईटी रूल्स 2021 (2022 व 2023 संशोधन सहित): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही, गलत व भ्रामक कंटेंट हटाना, डीपफेक रोकना।

  • डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023: बिना सहमति निजी डेटा का इस्तेमाल करने पर दंड।

  • भारतीय न्याय संहिता 2023: गलत अफवाह, भ्रामक खबरें और संगठित साइबर अपराधों पर सख्ती।

प्लेटफॉर्म्स के लिए सख्त दिशा-निर्देश

  • डीपफेक और फर्जी पहचान वाले कंटेंट की पहचान व हटाना।

  • यूज़र्स को ऐसे कंटेंट के भ्रामक होने की चेतावनी देना।

  • संवेदनशील मामलों में 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाना।

  • 50 लाख से अधिक यूज़र्स वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऑटोमेटेड टूल्स से मॉनिटरिंग और स्थानीय ऑफिसर नियुक्त करना।

संस्थागत और जनजागरूकता तंत्र

  • GAC: कंटेंट मॉडरेशन पर अपील का मंच।

  • I4C और SAHYOG पोर्टल: अवैध कंटेंट हटाने के लिए केंद्रीय समन्वय।

  • नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन 1930।

  • CERT-In: साइबर खतरों पर एडवाइजरी जारी करता है, डीपफेक से निपटने के उपाय भी बताता है।

  • साइबर जागरूकता अभियान: हर महीने "साइबर जागरूकता दिवस", अक्टूबर में "साइबर सुरक्षा माह" और फरवरी में "सेफर इंटरनेट डे" का आयोजन।

मंत्री ने कहा कि भारत की साइबर कानूनी और संस्थागत व्यवस्था तकनीक-न्यूट्रल है, इसलिए एआई से पैदा होने वाले खतरों पर भी समान रूप से कार्रवाई संभव है।