498 ए (दहेज उत्पीड़न) केस में बरी पति हर्जाने का हकदार

16 August, 2025, 11:39 am

गुरुग्राम, 16 अगस्त :
गुरुग्राम की एक अदालत ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि 498ए (दहेज उत्पीड़न) के मामले में बरी हो चुका पति अपनी पत्नी के खिलाफ "मैलिशस प्रॉसिक्यूशन" यानी झूठे मुकदमे के लिए हर्जाने का दावा कर सकता है, भले ही पत्नी ने बरी होने के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर रखी हो।

यह मामला एक ऐसे एनआरआई पति का है जो ब्रिटेन (UK) का नागरिक है। पत्नी ने उस पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था। लंबे ट्रायल के बाद अदालत ने पति को सभी आरोपों से बरी कर दिया। बरी होने के बाद पति ने पत्नी के खिलाफ 1 करोड़ 80 लाख रुपये का हर्जाना मांगते हुए केस दायर किया।

पत्नी की आपत्ति, अदालत की दलील

पत्नी ने अदालत में यह कहते हुए आपत्ति जताई कि :

  • पति की बरी होने के खिलाफ उसने अपील दायर की है,

  • पति ने कोर्ट फीस जमा नहीं कराई है,

  • और ऐसा मुकदमा बनाए ही नहीं रखा जा सकता।

लेकिन अदालत ने पत्नी की दलीलों को खारिज करते हुए साफ कहा कि –

  • कोर्ट फीस बाद में तय किए गए हर्जाने की राशि के अनुसार जमा कराई जा सकती है।

  • चूंकि पति पहले ही बरी हो चुका है, इसलिए उसके पास हर्जाने का दावा करने का पूरा अधिकार है, चाहे अपील लंबित ही क्यों न हो।

बढ़ते झूठे मुकदमों पर संदेश

अदालत का यह फैसला उन बढ़ते मामलों के बीच आया है, जिनमें matrimonial disputes (वैवाहिक विवादों) में पतियों को झूठे दहेज या उत्पीड़न मामलों में फंसाया जाता है। अदालत ने यह भी माना कि सिर्फ बरी हो जाना काफी नहीं है, क्योंकि झूठे मुकदमे में फंसे व्यक्ति की ज़िंदगी, करियर और इज्ज़त पर जो असर पड़ता है, उसकी भरपाई भी जरूरी है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में झूठे मुकदमों के खिलाफ एक नजीर साबित हो सकता है और बेकसूर आरोपियों को राहत दिलाने का रास्ता आसान करेगा।