पिहोवा के प्रिथूदक तीर्थ में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन

पिहोवा, कुरुक्षेत्र (हरियाणा), 16 अगस्त 2025।
हरियाणा के प्राचीन नगर पिहोवा, जिसे प्रिथूदक तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है, में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शुक्रवार को अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया गया।अपना आश्रम’ प्रिथूदक तीर्थ में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का उल्लासपूर्वक आनंद लिया।
धार्मिक विद्वानों ने इस अवसर पर पिहोवा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन ग्रंथ— स्कन्द पुराण, मार्कण्डेय पुराण और वामन पुराण— सभी में इस तीर्थ का उल्लेख मिलता है। यहाँ न केवल आस्था, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की अमूल्य परंपरा भी जीवित है।
आश्रम के सेवक बाबा रजनीश शाह ने कहा,
पिहोवा सदियों से पितृ तर्पण और धार्मिक अनुष्ठानों का सर्वोच्च केंद्र रहा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर यहाँ उपस्थित होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”इस दौरान भजन-कीर्तन, प्रवचन और प्रसाद वितरण के कार्यक्रम भी संपन्न हुए। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस आयोजन से पिहोवा की धार्मिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊर्जा मिली है।
नाम और महत्व
प्रिथूदक शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है – राजा पृथु का जल।मान्यता है कि राजा पृथु ने यहाँ अपने पिता वेण का पिंडदान और तर्पण किया था। तभी से यह स्थान पितृ तर्पण और श्राद्ध का सर्वोच्च केंद्र माना जाता है।यही कारण है कि देशभर से लोग पितृपक्ष और अन्य अवसरों पर पिहोवा में आकर पिंडदान करते हैं।
स्कन्द पुराण, मार्कण्डेय पुराण और वामन पुराण सहित कई ग्रंथों में प्रिथूदक तीर्थ का वर्णन मिलता है।
यहाँ आने से पितृ तर्पण का अद्वितीय फल प्राप्त होता है और माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।कहा जाता है कि महाभारत काल में भी इस स्थल का महत्व रहा और कई ऋषि-मुनि यहाँ आकर साधना करते थे।
गीता और धर्मशास्त्रों में पिहोवा को पवित्र कुरुक्षेत्र मंडल का हिस्सा बताया गया है।
हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर पिंडदान, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
जन्माष्टमी, श्राद्ध पक्ष, और गीता जयंती जैसे अवसरों पर यहाँ विशाल मेले और आयोजन होते हैं।
पिहोवा को उत्तर भारत का गया भी कहा जाता है, क्योंकि पितृ कर्म के लिए इसकी वही महत्ता है जैसी गया (बिहार) की।