चुनाव आयोग ने कहा – “मतदाता सूची में पारदर्शिता सर्वोच्च”, राजनीतिक दलों को समय पर करनी चाहिए थी आपत्तियाँ

17 August, 2025, 9:18 am

 

नई दिल्ली, 17 अगस्त 2025 | Broadcast Mantra
चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को मतदाता सूचियों (Electoral Rolls) से जुड़ी शिकायतों पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ कहा है कि लोकतंत्र को मज़बूत करने में सही और पारदर्शी मतदाता सूची की अहम भूमिका है। आयोग ने दोहराया कि पारदर्शिता ही मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया की पहचान है और इसके लिए हर चरण पर राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।

आयोग के मुताबिक, उप मंडल मजिस्ट्रेट (SDM) स्तर के अधिकारी बतौर Electoral Registration Officers (EROs) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) मतदाता सूचियों को तैयार और अंतिम रूप देते हैं। ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद, इसे राजनीतिक दलों और आम जनता के लिए डिजिटल और फिजिकल दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है। इस चरण पर दावे और आपत्तियों के लिए एक महीने का पूरा समय दिया जाता है।

इसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होती है, जिसे फिर से सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और मतदाताओं के लिए सार्वजनिक कर दिया जाता है। आयोग ने यह भी बताया कि यदि किसी को आपत्ति रहती है तो अपील की दो स्तरीय व्यवस्था है—पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट (DM) और दूसरी अपील राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के CEO के पास की जा सकती है।

हालांकि हाल के दिनों में कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने मतदाता सूचियों की त्रुटियों को लेकर सवाल उठाए हैं। इस पर आयोग ने कहा कि,

“उचित समय पर यदि राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने मतदाता सूची का बारीकी से परीक्षण किया होता, तो त्रुटियों को तुरंत सुधारा जा सकता था। अब चुनाव के बाद या बहुत देर से उठाई गई आपत्तियाँ केवल राजनीतिक बयानबाज़ी लगती हैं।”

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब भी सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं से सुझाव और आपत्तियों का स्वागत करता है ताकि सूचियों को और शुद्ध किया जा सके।


इस बयान से साफ है कि आयोग मतदाता सूची की पारदर्शिता पर बार-बार ज़ोर दे रहा है, वहीं विपक्षी दल इसे जनता के अधिकारों से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बताकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले राज्यों के चुनावों में यह बहस और तेज़ हो सकती है।