ISS पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री का प्रयोग – ‘विश्वबंधु भारत’ की पहचान, 2040 तक चाँद पर कदम रखने का लक्ष्य

नई दिल्ली | 18 अगस्त 2025
लोकसभा में आज विशेष चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर किए गए प्रयोग भारत को “विश्वबंधु भारत” के रूप में स्थापित करते हैं।
लाइफ साइंसेज़ और पौधों की फिजियोलॉजी से जुड़े ये प्रयोग पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किट्स के जरिए किए गए हैं और इनके परिणाम पूरे मानव समुदाय को लाभ देंगे।
भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि
-
डॉ. सिंह ने इसे सिर्फ प्रतीकात्मक विजय नहीं, बल्कि भारत की किफायती स्पेस टेक्नोलॉजी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्वदेशी नवाचार की बड़ी उपलब्धि बताया।
-
उन्होंने कहा कि ISS मिशन वैश्विक लागत के छोटे हिस्से में पूरा हुआ है, जो भारत की वैज्ञानिक योजना और संसाधनों के कुशल उपयोग का प्रमाण है।
भारत का स्पेस रोडमैप
-
2026 : व्योममित्रा (मानवरूपी रोबोट) मिशन
-
2027 : गगनयान के तहत पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री
-
2035 : भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन
-
2040 : भारतीय अंतरिक्ष यात्री का चाँद पर उतरना
-
2047 : विक्सित भारत की घोषणा चाँद की सतह से
अंतरिक्ष से धरती तक लाभ
डॉ. सिंह ने बताया कि शुक्ला के प्रयोगों से स्वास्थ्य, कृषि, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएँ खुलेंगी। वर्तमान में भारत की $8 बिलियन की स्पेस इकोनॉमी में 300 से अधिक स्टार्टअप योगदान दे रहे हैं, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी की सफलता दर्शाते हैं।
डॉ. सिंह ने कहा – “यह सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की कहानी नहीं, बल्कि भारत के हर उस बच्चे का सपना है, जो तारों तक पहुँचने की हिम्मत करता है।”