मोदी सरकार की आपदा प्रबंधन नीति: अमित शाह बोले – "अब राहत नहीं, बचाव पर जोर"

20 August, 2025, 11:17 am

 

नई दिल्ली | 20 अगस्त 2025

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज संसद की गृह मंत्रालय से जुड़ी परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का विषय था – आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण

अमित शाह ने कहा कि 2014 से पहले आपदा प्रबंधन राहत-केंद्रित था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे रेस्क्यू-केंद्रित बनाकर चार स्तंभों – क्षमता निर्माण, गति, दक्षता और शुद्धता – पर आधारित नई नीति लागू की है।

उन्होंने बताया कि इस नीति का नतीजा यह रहा कि 1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन में जहां 10,000 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 के बिपरजॉय और 2024 के दाना चक्रवातों में शून्य जनहानि दर्ज की गई।
पिछले 10 सालों में चक्रवातों से होने वाले नुकसान में 98% कमी और हीटवेव से होने वाली मौतों में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है।

वित्तीय मजबूती और नई योजनाएँ

  • 2004 से 2014 के बीच SDRF और NDRF को ₹66,000 करोड़ दिए गए थे, जो 2014 से 2024 में बढ़कर ₹2 लाख करोड़ हो गए।

  • 2021-22 से 2025-26 के बीच SDRF के लिए ₹1.28 लाख करोड़ और NDRF के लिए ₹54,770 करोड़ का प्रावधान।

  • पहली बार राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF) और राज्य आपदा शमन कोष (SDMF) बनाए गए।

  • आपदा मित्र और युवा आपदा मित्र योजनाओं के तहत 1 लाख सामुदायिक वॉलंटियर को प्रशिक्षित किया गया।

  • फायर सर्विसेज के आधुनिकीकरण के लिए ₹5,000 करोड़ की योजना लागू।

तकनीक और चेतावनी तंत्र

शाह ने बताया कि भारत अब 7 दिन पहले तक बाढ़ और चक्रवात की सटीक चेतावनी देने में सक्षम है।
सचेत ऐप’ और ‘कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल’ के जरिए SMS और साइरन से लोगों तक चेतावनी पहुंचाई जा रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है।
उन्होंने जिला और ग्राम पंचायत स्तर पर आपदा रोकथाम जागरूकता फैलाने की ज़रूरत पर जोर दिया।

बैठक में शामिल सांसदों और विशेषज्ञों ने सरकार की पहलों की सराहना की और सुझाव भी दिए।

मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

मोदी सरकार ने 2014 से पहले की राहत-केंद्रित नीति को बदलकर रेस्क्यू-केंद्रित नीति अपनाई।

आपदा प्रबंधन नीति अब चार स्तंभों पर आधारित है – क्षमता निर्माण, गति, दक्षता और शुद्धता (accuracy)।

1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन (10,000 मौतें) की तुलना में 2023 के बिपरजॉय और 2024 के दाना चक्रवातों में शून्य जनहानि रही।

पिछले 10 वर्षों में चक्रवातों से होने वाले नुकसान में 98% की कमी और लू से होने वाली मौतों में भी बड़ी गिरावट दर्ज हुई।

क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार हो रही है।

SDRF और NDRF को 2004-2014 के बीच जहाँ ₹66,000 करोड़ मिले थे, वहीं 2014-2024 में लगभग ₹2 लाख करोड़ दिए गए।

2021-22 से 2025-26 के बीच SDRF के लिए ₹1,28,122 करोड़ और NDRF के लिए ₹54,770 करोड़ का प्रावधान।

पहली बार राष्ट्रीय और राज्य आपदा शमन कोष (NDMF व SDMF) बनाए गए हैं।

आपदा मित्र और युवा आपदा मित्र योजनाओं के तहत 1 लाख सामुदायिक वॉलंटियर को प्रशिक्षित किया गया।

फायर सर्विसेस आधुनिकीकरण योजना पर ₹5,000 करोड़ का प्रावधान।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और केन्द्रीय जल आयोग (CWC) अब 7 दिन पहले सटीक चेतावनी दे रहे हैं।

‘सचेत’ ऐप के माध्यम से देशभर में चेतावनी प्रणाली लागू।


अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की 10 सूत्रीय एजेंडा के आधार पर आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 लाया गया।
सांसदों ने सरकार की आपदा प्रबंधन नीतियों की सराहना की और सुझाव भी दिए।


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