राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ का 30वां राष्ट्रीय सेमिनार सम्पन्न

20 August, 2025, 3:12 pm

 

नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 —
राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (RAV) ने सोमवार को अपने 30वें राष्ट्रीय सेमिनार का सफल समापन किया। सेमिनार का विषय था – “शैशव एवं बाल्यावस्था में रोग एवं स्वास्थ्य प्रबंधन : आयुर्वेदिक दृष्टिकोण”।
दो दिवसीय कार्यक्रम (18–19 अगस्त) का आयोजन दिल्ली के स्कोप कॉम्प्लेक्स सभागार, लोधी रोड पर हुआ, जिसमें देशभर से आए 500 से अधिक विद्वानों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और छात्रों ने भाग लिया।

बाल स्वास्थ्य में "कौमारभृत्य" की अहमियत

समापन सत्र में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने अपने संदेश में कहा कि आयुर्वेद की कौमारभृत्य शाखा बच्चों के लिए रोकथाम, संवर्द्धन और उपचार – तीनों स्तरों पर स्वास्थ्य देखभाल का व्यापक मॉडल प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कहा – “इस सेमिनार के निष्कर्ष भारत की बाल स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाएंगे। कौमारभृत्य के माध्यम से ‘स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत’ का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।”

साक्ष्य-आधारित शोध पर ज़ोर

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि इस सेमिनार ने बाल्यावस्था आयुर्वेद पर अकादमिक विमर्श के लिए एक नया मानक तय किया है। उन्होंने एविडेंस बेस्ड रिसर्च (साक्ष्य-आधारित शोध) और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के समन्वित अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की सराहना

प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योग और आयुर्वेद को मिले वैश्विक मान्यता की सराहना की और कहा कि बाल स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना समय की मांग है।

युवा शोधकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी

राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की निदेशक डॉ. वंदना सिरोही ने कहा कि इस आयोजन में युवा विद्वानों की सक्रिय भागीदारी भविष्य के लिए उत्साहजनक संकेत है।
दो दिनों में —

20 शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ,

पोस्टर सत्र में युवा शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन पेश किए,

बच्चों में रोकथाम और संवर्द्धनकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर पैनल चर्चा हुई।

इसके अलावा, एक स्मारिका का विमोचन और सभी प्रतिभागियों को किट व प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए।

निष्कर्ष और आगे की राह

सेमिनार का सर्वसम्मत निष्कर्ष रहा कि बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुर्वेद की समग्र पद्धतियों को मुख्यधारा स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ा जाना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बच्चों में बढ़ती लाइफस्टाइल डिज़ीज़, पोषण संबंधी कमी और नई स्वास्थ्य चुनौतियों का बेहतर ढंग से समाधान संभव होगा।

 इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि आयुर्वेद केवल रोग प्रबंधन नहीं, बल्कि स्वस्थ पीढ़ी और स्वस्थ भारत की नींव है।