PLI स्कीम से घटे रेयर डिज़ीज़ दवाओं के दाम, करोड़ों से लाखों में आया इलाज: अमित अग्रवाल

1 अगस्त 2025 —
“रेयर डिज़ीज़ सिर्फ मेडिकल नहीं, इंसानियत और इनक्लूजन का मुद्दा है” — यह संदेश दिया केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव श्री अमित अग्रवाल ने। वे FICCI ऑडिटोरियम में आयोजित Rare Diseases Conference 2025 के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।
सम्मेलन का थीम था — “Making Rare Care Possible: Availability, Accessibility, Awareness”।
पीएम की दृष्टि: सस्ती दवाएं, वैश्विक कल्याण
श्री अग्रवाल ने प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषण का ज़िक्र करते हुए कहा —
“भारत दुनिया की फार्मेसी है, लेकिन क्या अब वक्त नहीं आ गया कि हम रिसर्च और इनोवेशन में निवेश कर पूरी मानवता के लिए सबसे सस्ती और असरदार दवाएं दें?”
PLI स्कीम का असर
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रेयर डिज़ीज़ को PLI (Production Linked Incentive) Scheme में फोकस एरिया बनाया गया।
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अब तक 8 दवाओं को सपोर्ट मिला।
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उदाहरण: Eliglustat (Gaucher’s Disease) — पहले सालाना खर्च ₹1.8–3.6 करोड़, अब सिर्फ ₹3–6 लाख।
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अन्य दवाएं: Trientine (Wilson’s Disease), Nitisinone (Tyrosinemia Type 1), Cannabidiol (Lennox–Gastaut Syndrome)।
रेयर डिज़ीज़: एक बड़ी चुनौती
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भले ही एक-एक बीमारी दुर्लभ हो, लेकिन कुल मिलाकर ये जनसंख्या के लगभग 5% लोगों को प्रभावित करती हैं।
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मरीज और परिवार को भारी आर्थिक व मानसिक बोझ झेलना पड़ता है।
CSR और इनोवेशन पर ज़ोर
सचिव ने कॉरपोरेट्स से अपील की कि वे अपने CSR और मरीज सहायता कार्यक्रमों में रेयर डिज़ीज़ मरीजों को प्राथमिकता दें।
उन्होंने यह भी कहा कि पॉलिसी और रेगुलेशन में स्पेशल पाथवे व रेगुलेटरी छूट तलाशनी होगी ताकि इन मरीजों तक इलाज आसान और जल्दी पहुँच सके।