लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला का क्षोभ – नारेबाज़ी और हंगामे से संसद की गरिमा आहत

नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025 –
लोकसभा के पांचवें सत्र का आज समापन हो गया। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने समापन भाषण में लगातार और सुनियोजित बाधाओं पर गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि नारेबाज़ी, तख्ती दिखाना और लगातार गतिरोध पैदा करना संसद की गरिमा और संसदीय परंपरा का अपमान है।
ओम बिड़ला ने कहा कि जनता अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों से गंभीर और सार्थक चर्चा की उम्मीद करती है। संसद का समय जनता के मुद्दों और अहम विधेयकों पर चर्चा के लिए इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन गतिरोध के कारण सत्र में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ।
37 घंटे ही चला सदन, 419 में से सिर्फ 55 सवालों के मिले जवाब
स्पीकर ने जानकारी दी कि सत्र की शुरुआत में सभी दलों ने तय किया था कि 120 घंटे चर्चा होगी, लेकिन लगातार हंगामे और अवरोधों के कारण सदन मात्र 37 घंटे ही चल सका।
सूचीबद्ध 419 तारांकित प्रश्नों में से सिर्फ 55 सवालों के ही मौखिक उत्तर हो पाए।
इस सत्र में 14 सरकारी विधेयक पेश हुए और 12 विधेयक पारित किए गए।
खास बहसें – ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियां
सत्र के दौरान 28 और 29 जुलाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा हुई, जिसका समापन प्रधानमंत्री के उत्तर के साथ हुआ। वहीं, 18 अगस्त को भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों पर भी सदन में विशेष चर्चा आयोजित की गई।
"भाषा और आचरण अनुशासित और गरिमामय हो"
स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सदन में जो भाषा और व्यवहार देखने को मिला, वह संसद की परंपराओं के अनुरूप नहीं था। उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया कि सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह भाषा संयमित और गरिमामय होनी चाहिए, ताकि उनका कार्य और आचरण देश और विश्व के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सके।
सत्र का समापन
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद यह सत्र कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा, लेकिन संसद का असली उद्देश्य तभी पूरा होगा जब सभी दल जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए बहस और विमर्श की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।
पांचवां सत्र लोकसभा का आज ‘अनिश्चितकाल’ (Sine Die) के लिए स्थगित कर दिया गया।