युनेस्को और पर्यटन मंत्रालय ने विश्व धरोहर एवं सतत पर्यटन पर रणनीतिक सम्मेलन आयोजित किया

नई दिल्ली, 22 अगस्त 2025— भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय और यूनेस्को ने मिलकर “World Heritage and Sustainable Tourism: Inspiring Innovative and Inclusive Approaches” शीर्षक से रणनीतिक सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में किया।
सम्मेलन में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों, सांस्कृतिक विभागों, पर्यटन उद्योग के नेताओं और निवेश एजेंसियों सहित 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भारत की 44 विश्व धरोहर स्थलों को सतत पर्यटन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर उभारने और संरक्षित करने के लिए नये मॉडल तैयार करना था।
मुख्य विचार और वक्तव्य
सुमन बिल्ला, अतिरिक्त सचिव एवं महानिदेशक, पर्यटन मंत्रालय ने कहा:
“हमें ऐसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल विकसित करने होंगे, जिससे धरोहर स्थलों से प्राप्त संसाधन उनकी देखभाल और विकास में ही लगाए जाएं। इसके लिए आर्थिक एवं वित्तीय स्वायत्तता का ढांचा जरूरी है।”
जुनही हान, प्रमुख (संस्कृति), यूनेस्को दक्षिण एशिया ने कहा:
“यूनेस्को का प्राथमिक उद्देश्य धरोहर की रक्षा करना है, लेकिन हम इसे सतत पर्यटन का साधन भी मानते हैं। इसके लिए World Heritage and Sustainable Tourism Programme विकसित किया गया है जो जागरूकता, क्षमता निर्माण और सभी हितधारकों की संतुलित भागीदारी पर जोर देता है।”
मुग्धा सिन्हा, प्रबंध निदेशक, ITDC ने समापन में कहा:
“यह सम्मेलन नीति और व्यवहारिक अनुभव को जोड़ने वाला रहा। सतत पर्यटन अब निर्माण से अधिक स्मार्ट विचारों पर आधारित है, जो परंपरा को संरक्षित करते हुए मूल्य भी जोड़ते हैं। पांच T – Tradition, Talent, Trade, Technology और Tourism का समन्वय आगे का रास्ता है।”
प्रमुख चर्चा बिंदु
विश्व धरोहर स्थलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार और बेहतर पहुंच
समुदाय-आधारित पर्यटन मॉडल
पर्यावरणीय संतुलन और संरक्षण
विकलांग-अनुकूल (accessible) पर्यटन के वैश्विक मानदंड
आधुनिक तकनीक के जरिए आगंतुक अनुभव को बेहतर बनाना
प्रस्तुत केस स्टडीज़
AlUla (सऊदी अरब), Lascaux IV (फ्रांस)और हुमायूँ का मकबरा संग्रहालय (दिल्ली)– नवाचारी और समावेशी पर्यटन मॉडल
लूव्र संग्रहालय (फ्रांस) और सिटी पैलेस संग्रहालय (जयपुर) – रणनीतिक पहल का प्रभाव
बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति और राजों की बावली (विश्व स्मारक कोष, भारत) – संरक्षण और सतत प्रबंधन की मिसाल
सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि सतत पर्यटन सिर्फ आर्थिक अवसर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा का मार्ग है। भारत की विश्व धरोहर स्थलों को वैश्विक पहचान दिलाने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी लाभ सुनिश्चित करना ही इसका प्रमुख उद्देश्य है।