अमित शाह ने किया अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन का उद्घाटन

24 August, 2025, 8:54 pm

 

नई दिल्ली, 24 अगस्त।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को दिल्ली विधानसभा में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन स्वतंत्रता सेनानी विठ्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधान सभा के पहले भारतीय निर्वाचित अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

विठ्ठलभाई पटेल को दी श्रद्धांजलि

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि विठ्ठलभाई पटेल ने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की नींव रखी और कई ऐसी संवैधानिक परंपराएँ स्थापित कीं, जो आज भी विधानसभाओं और संसद के कार्य संचालन का मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने कहा –

“यदि किसी ने भारतीय मूल्यों पर आधारित लोकतांत्रिक ढाँचे की नींव रखी तो वे विठ्ठलभाई पटेल ही थे। उन्होंने कभी सदन की गरिमा कम नहीं होने दी और न ही ब्रिटिश हुकूमत को सदन की कार्यवाही पर हावी होने दिया।”

शाह ने यह भी याद दिलाया कि पटेल के कार्यकाल में केंद्र और राज्यों में स्वतंत्र विधायी विभाग और विधानसभा सचिवालय की स्थापना हुई, जिसे बाद में संविधान सभा ने भी स्वीकार किया।

स्वस्थ बहस बनाम बाधित कार्यवाही

गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए संसद और विधानसभाओं में स्वस्थ बहस जरूरी है, लेकिन हाल के वर्षों में विरोध के नाम पर पूरे-पूरे सत्र बाधित करने की परंपरा चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा –

विचार-मंथन लोकतंत्र में जनसमस्याओं के समाधान का सर्वोत्तम माध्यम है। परंतु संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए सदन की कार्यवाही को बाधित करना बहस नहीं कहलाता। जब चर्चाएँ रुक जाती हैं तो विधानमंडल राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका खो देते हैं।”

अमित शाह ने यह भी कहा कि संसद और विधानसभाओं को "प्रूडेंस, डिलिबरेशन और लेजिस्लेशन" (सावधानी, विचार और विधि निर्माण) के मूल मंत्र पर चलना चाहिए।

राष्ट्रीय हित सर्वोपरि

गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र तभी अपनी उच्चतम गरिमा तक पहुँच सकता है जब हम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखें। उन्होंने कहा –

“स्पीकर भले ही किसी राजनीतिक दल से आते हों, लेकिन पद संभालते ही उन्हें निष्पक्ष अम्पायर की भूमिका निभानी चाहिए। यही स्पीकर की गरिमा और लोकतंत्र की ताकत है।”

भाषणों और प्रदर्शनी का संकलन

अमित शाह ने दिल्ली विधानसभा से आग्रह किया कि इस सदन में दिए गए सभी ऐतिहासिक भाषणों का संकलन तैयार कर देशभर की विधानसभाओं की लाइब्रेरियों में उपलब्ध कराया जाए ताकि जनप्रतिनिधि और युवा यह समझ सकें कि स्वतंत्रता की चेतना किस तरह जागृत हुई। उन्होंने दिल्ली विधानसभा परिसर में लगी विठ्ठलभाई पटेल पर प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और सुझाव दिया कि ऐसी प्रदर्शनी सभी राज्यों की विधानसभाओं में लगाई जानी चाहिए।

लोकतंत्र की मूल आत्मा

अपने भाषण में अमित शाह ने कहा कि भारत में लोकतंत्र जनता की आत्मा और संस्कृति में बसा हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि आज़ादी के बाद कई बार सत्ता परिवर्तन हुए लेकिन एक बूंद खून बहाए बिना सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ। इसका कारण हमारी मजबूत विधायी परंपरा है।

गृह मंत्री ने कहा कि विधानसभाओं में किसानों की खुशहाली, युवाओं के सपने, महिलाओं का सशक्तिकरण, समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान और राष्ट्रीय एकता व सुरक्षा जैसे विषयों पर गहन चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा –

“सदन को बुद्धि, विचार और विधि निर्माण – इन तीन स्तंभों पर चलना चाहिए। हर कानून का लक्ष्य लोक-कल्याण होना चाहिए।”

 यह सम्मेलन केवल ऐतिहासिक विरासत का उत्सव नहीं बल्कि लोकतंत्र की जीवंत परंपरा को नई ऊर्जा देने का भी प्रयास है।