Vibrant Villages Programme: अमित शाह बोले – सीमा के गांव राष्ट्रीय सुरक्षा के मज़बूत औज़ार बनें

नई दिल्ली, 26 अगस्त 2025
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय Vibrant Villages Programme (VVP) कार्यशाला का उद्घाटन किया। गृह मंत्रालय के बॉर्डर मैनेजमेंट डिवीज़न द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया यह कार्यक्रम केवल विकास नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने का भी माध्यम है।
इस मौके पर उन्होंने VVP का लोगो भी लॉन्च किया।
अमित शाह के संबोधन की प्रमुख बातें
1. VVP के तीन स्तंभ
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सीमा गांवों से पलायन रोकना
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100% सरकारी योजनाओं का लाभ हर नागरिक तक पहुँचाना
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सीमा गांवों को राष्ट्रीय सुरक्षा के औज़ार बनाना
2. जनसंख्या और पलायन पर संदेश
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पीएम मोदी ने लाल किले से कहा था कि “जनसांख्यिकीय बदलाव चिंता का विषय है।”
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सीमा जिलों के कलेक्टरों की ज़िम्मेदारी है कि वे पलायन रोकें और गांवों की आबादी बढ़े।
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अरुणाचल प्रदेश के कई सीमा गांवों में VVP लागू होने के बाद आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संकेत है।
3. रोज़गार और सहकारिता मॉडल
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हर सीमा गांव में डेयरी सहकारी समितियाँ बनाई जाएँ ताकि CAPFs और सेना को दूध वहीं से उपलब्ध हो।
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ITBP ने अरुणाचल में सब्ज़ी, अंडा, दूध जैसी ज़रूरतें सीमा गांवों से ही खरीदकर सफल प्रयोग किया है।
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होम-स्टे मॉडल को हर गांव तक बढ़ाया जाए, राज्य सरकार उचित बुकिंग की व्यवस्था करे।
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पर्यटन और संस्कृति से रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
4. सीमा सुरक्षा और अतिक्रमण
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सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर तक ग़ैरक़ानूनी धार्मिक अतिक्रमण हटाए जाएं।
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शाह ने कहा – “ये अतिक्रमण किसी प्राकृतिक कारण से नहीं बल्कि सुनियोजित डिज़ाइन के तहत हो रहे हैं।”
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गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने समुद्री और स्थलीय सीमाओं पर अतिक्रमण हटाने में बेहतरीन काम किया है।
5. बुनियादी ढांचा और सुविधाएँ
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टेलीकॉम, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पीने का पानी जैसी सुविधाएँ हर गांव में सुनिश्चित हों।
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MGNREGA से तालाब, वनीकरण और स्थायी ढांचे बनाए जाएं।
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VVP को केवल सरकारी योजना न मानकर, प्रशासन की आत्मा बनाना होगा।
महत्व
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VVP के तहत सीमा गांव अब केवल विकास ही नहीं, बल्कि सुरक्षा कवच की भूमिका निभाएँगे।
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ग्रामीणों को रोजगार और सुविधाएँ मिलने से पलायन रुकेगा।
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सीमा पर जनसंख्या का स्थायित्व, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से रणनीतिक बदलाव लाएगा।
सीमा गांवों से पलायन रोकना
100% सरकारी योजनाओं का लाभ हर नागरिक तक पहुँचाना
सीमा गांवों को राष्ट्रीय सुरक्षा के औज़ार बनाना
पीएम मोदी ने लाल किले से कहा था कि “जनसांख्यिकीय बदलाव चिंता का विषय है।”
सीमा जिलों के कलेक्टरों की ज़िम्मेदारी है कि वे पलायन रोकें और गांवों की आबादी बढ़े।
अरुणाचल प्रदेश के कई सीमा गांवों में VVP लागू होने के बाद आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संकेत है।
हर सीमा गांव में डेयरी सहकारी समितियाँ बनाई जाएँ ताकि CAPFs और सेना को दूध वहीं से उपलब्ध हो।
ITBP ने अरुणाचल में सब्ज़ी, अंडा, दूध जैसी ज़रूरतें सीमा गांवों से ही खरीदकर सफल प्रयोग किया है।
होम-स्टे मॉडल को हर गांव तक बढ़ाया जाए, राज्य सरकार उचित बुकिंग की व्यवस्था करे।
पर्यटन और संस्कृति से रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर तक ग़ैरक़ानूनी धार्मिक अतिक्रमण हटाए जाएं।
शाह ने कहा – “ये अतिक्रमण किसी प्राकृतिक कारण से नहीं बल्कि सुनियोजित डिज़ाइन के तहत हो रहे हैं।”
गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने समुद्री और स्थलीय सीमाओं पर अतिक्रमण हटाने में बेहतरीन काम किया है।
टेलीकॉम, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पीने का पानी जैसी सुविधाएँ हर गांव में सुनिश्चित हों।
MGNREGA से तालाब, वनीकरण और स्थायी ढांचे बनाए जाएं।
VVP को केवल सरकारी योजना न मानकर, प्रशासन की आत्मा बनाना होगा।
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VVP के तहत सीमा गांव अब केवल विकास ही नहीं, बल्कि सुरक्षा कवच की भूमिका निभाएँगे।
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ग्रामीणों को रोजगार और सुविधाएँ मिलने से पलायन रुकेगा।
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सीमा पर जनसंख्या का स्थायित्व, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से रणनीतिक बदलाव लाएगा।