राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन की वैज्ञानिक संचालन समिति की तीसरी बैठक सम्पन्न

नई दिल्ली, 27 अगस्त 2025:
विज्ञान भवन एनेक्सी, नई दिल्ली में राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन (NOHM) की वैज्ञानिक संचालन समिति की तीसरी बैठक आज सम्पन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद ने की।
बैठक का विशेष महत्व इसलिए भी रहा क्योंकि इसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और मत्स्य पालन विभाग को भी शामिल किया गया। अब यह मिशन 13 मंत्रालयों/विभागों की साझा पहल बन चुका है।
बैठक में आईसीएमआर महानिदेशक व स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) सचिव डॉ. राजीव बहल, आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) सचिव डॉ. राजेश गोखले, पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, इसरो चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन समेत कई मंत्रालयों व वैज्ञानिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्य बिंदु:
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मल्टी-सेक्टोरल सहयोग: प्रो. सूद ने कहा कि वन हेल्थ एक ऐसा बहु-क्षेत्रीय मिशन है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि और पर्यावरण क्षेत्र की विशेषज्ञता को जोड़ता है।
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राज्य-स्तरीय जुड़ाव: डॉ. संगीता अग्रवाल ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की भागीदारी, क्षमता निर्माण और आपसी ज्ञान-साझेदारी की प्रगति प्रस्तुत की। असम-उत्तर प्रदेश और गोवा-कर्नाटक के बीच ज़ूनोटिक बीमारियों पर अनुभव साझा करने की पहल को रेखांकित किया गया।
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पहला राज्य-कार्यशाला: 9 जून 2025 को आयोजित पहली कार्यशाला की रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें राज्यों की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला गया।
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प्रमुख चर्चाएँ:
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राज्य-जिला-पंचायत स्तर पर बहु-स्तरीय शासन मॉडल का सुझाव।
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युवा भागीदारी हेतु हैकाथॉन और आइडियाथॉन की योजना।
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अधिकारियों के लिए एकीकृत ई-लर्निंग मॉड्यूल।
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डेटा साझाकरण, प्रयोगशालाओं का नेटवर्क, अपशिष्ट जल निगरानी और राष्ट्रीय आउटब्रेक डेटा रिपॉज़िटरी पर जोर।
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समिति की सलाहकार व समीक्षा समितियों से अपडेट:
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BSL-3/4 प्रयोगशाला नेटवर्क – लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मधुरी कानिटकर की अध्यक्षता।
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संवर्धित निगरानी एवं जांच – डॉ. एन.के. अरोड़ा।
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चिकित्सकीय अनुसंधान व प्रतिकार उपाय – डॉ. रेनू स्वरूप।
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डेटाबेस एकीकरण व साझाकरण – डॉ. विजय चंद्रु।
निष्कर्ष
प्रो. सूद ने कहा कि समिति की शक्ति उसके विविध ज्ञान में है। उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर वन हेल्थ फ्रेमवर्क तैयार किया जाए, जो न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक महत्व का होगा।