दिल्ली व्यापार महासंघ (पंजी.) ने केंद्र और राज्य सरकार से तुरंत राहत पैकेज की मांग की

अमेरिका का 50% टैरिफ झटका, दिल्ली व्यापारियों पर संकट
निर्यात घटने, ऑर्डर कैंसिल होने और लाखों रोजगार पर मंडराया खतरा
नई दिल्ली, 27 अगस्त 2025।
अमेरिका ने आज से भारत से निर्यातित कई उत्पादों पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) लागू कर दिया है। इस निर्णय का सीधा असर भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के निर्यात पर पड़ने की आशंका है। खासकर दिल्ली के व्यापारी वर्ग और निर्यातकों के लिए यह कदम गंभीर चुनौती लेकर आया है।
किन उत्पादों पर असर
नए टैरिफ के चलते भारतीय वस्त्र, परिधान, आभूषण, रत्न, फर्नीचर, समुद्री उत्पाद और चमड़े के सामान अमेरिकी बाजार में लगभग दोगुनी कीमत पर पहुँचेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे इनकी मांग में 70% तक गिरावट संभव है। वहीं, बांग्लादेश, वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों को कम टैरिफ का लाभ मिलेगा और वे भारतीय हिस्सेदारी को हथिया सकते हैं।
संभावित नुकसान
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निर्यात में गिरावट – अमेरिका को भारत का कुल निर्यात लगभग 30% तक घट सकता है।
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वस्त्र और परिधान उद्योग – ऑर्डरों में 40–50% कमी, दिल्ली के कपड़ा कारोबारियों को भारी नुकसान।
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रत्न और आभूषण क्षेत्र – व्यापार में 15–20% तक गिरावट का खतरा।
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एमएसएमई पर सीधा असर – छोटे व्यापारियों के लिए ऑर्डर कैंसिलेशन, उत्पादन रुकने और रोजगार संकट की आशंका।
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GDP पर प्रभाव – राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि दर में 0.5–1% तक कमी का अनुमान।
संभावित राहत और अवसर
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घरेलू मांग – भारत का मजबूत उपभोक्ता बाजार निर्यात घाटे की आंशिक भरपाई कर सकता है।
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नए समझौते – यूरोप, यूके, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में नए व्यापार समझौते बन सकते हैं।
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सरकारी राहत – कर रियायत, सस्ते ऋण और निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ तत्काल सहारा बन सकती हैं।
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आत्मनिर्भरता का अवसर – संकट उद्योगों को घरेलू उत्पादन व वैकल्पिक निर्यात बाज़ार तलाशने का मौका देगा।
दिल्ली व्यापारियों की चिंता
दिल्ली व्यापार महासंघ (पंजी.) के अनुसार सबसे ज्यादा असर वस्त्र, आभूषण, हस्तशिल्प और फर्नीचर जैसे पारंपरिक निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा।
एमएसएमई क्षेत्र को कैश फ्लो संकट और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ सकता है।
महासंघ की मांग
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र कपूर ने कहा –
“यह टैरिफ परिवर्तन भारत के निर्यातकों, खासकर दिल्ली के व्यापारियों के लिए सीधी चुनौती है। इस संकट से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को तुरंत राहत पैकेज, नए अंतरराष्ट्रीय समझौते और एमएसएमई के लिए ठोस सहयोग योजनाएँ लानी होंगी। संकट ही अवसर है, अगर रणनीतिक तैयारी और सरकारी सहयोग मिला तो व्यापारी वर्ग इस चुनौती को अवसर में बदल सकता है।”