सर जदुनाथ सरकार फैलोशिप का समापन समारोह ,इतिहास लेखन की विविध परंपराओं का उत्सव मनाने पर जोर

नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025 – “Reclaiming India’s Historical Narrative: Celebrating Indian Historiography” विषय पर आयोजित सर जदुनाथ सरकार फैलोशिप का समापन समारोह मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली के मल्टीपर्पज हॉल में संपन्न हुआ। यह आयोजन भारतीय इतिहास को स्वदेशी, समावेशी और बहुलतावादी दृष्टिकोण से पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ डॉ. शामिका रवि भी विशेष अतिथि रहीं।
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श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वह NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के संदर्भ में FIHCR के साथ भविष्य की संभावित साझेदारियों की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहासकार और लेखक राष्ट्र-निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
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डॉ. शामिका रवि ने इतिहास शोध और प्रकाशन के लिए संस्थागत दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा – “इतिहास केवल अतीत नहीं है, यह तो हम रोज अखबारों और टीवी स्क्रीन पर जीते हैं।”
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डॉ. विक्रम संपथ, संस्थापक-निदेशक, FIHCR ने घोषणा की कि फैलोशिप के वरिष्ठ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत पांडुलिपियाँ प्रतिष्ठित प्रकाशन गृहों ने स्वीकार कर ली हैं। उन्होंने कहा – “यह समारोह एक सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक है, जो एक भारतीय बौद्धिक दृष्टिकोण के उदय को दर्शाता है।”
फैलोज़ की प्रस्तुतियाँ
फेलोज़ ने अपने शोध कार्य के अनुभव साझा किए:
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चंद्रचूर घोष – ऐतिहासिक शोध में संस्थागत पूर्वाग्रहों पर प्रकाश डाला।
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नबारुण बरूआह – भारत की जनजातीय और सभ्यतागत धरोहर की ऐतिहासिक एकता और साहस पर जोर।
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डॉ. सौम्या डे – भारतीय राजसत्ता (Indic Kingship) की कथाओं की नई व्याख्या प्रस्तुत की।
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शान कश्यप – इतिहास लेखन को लोकतांत्रिक बनाने में फैलोशिप की भूमिका बताई।
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डॉ. प्रतिष्ठा मुखर्जी – धरोहर की व्याख्या को आम जनता तक पहुँचाने पर अपने अनुभव साझा किए।
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प्रो. (डॉ.) लक्ष्मी आर्या ठटाचार – भारत की दोहरी पहचान – सभ्यता और आधुनिक राष्ट्र-राज्य – पर विचार रखे।
दूसरी फैलोशिप की घोषणा
इस अवसर पर दूसरे बैच के Sir Jadunath Sarkar Fellows की भी घोषणा हुई। नई फैलोशिप के तहत शोध विषयों में भारतीय इतिहास के उन पहलुओं को शामिल किया जाएगा, जिन पर अभी तक पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है।
फैलोशिप और संस्थाएँ
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Sir Jadunath Sarkar Fellowship – FIHCR की प्रमुख पहल है, जो प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक, स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता-उपरांत भारतीय इतिहास जैसे पाँच प्रमुख क्षेत्रों में गहन शोध को प्रोत्साहित करती है।
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FIHCR (Foundation for Indian Historical and Cultural Research) – एक गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संस्था है जो भारतीय परंपराओं से जुड़े नए ऐतिहासिक शोध को बढ़ावा देती है। इसकी प्रमुख पहलें हैं Sir Jadunath Sarkar Fellowship और YUVA (युवा पीढ़ी के लिए इतिहास से जुड़ाव)।
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OLA Foundation – शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और सांस्कृतिक धरोहर में सुधार के लिए कार्यरत, जिसका उद्देश्य भारत की सभ्यतागत पहचान से जुड़े परंपराओं को पुनर्जीवित करना है।
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