इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में ‘हिंदी माह 2025’ का शुभारंभ

3 September, 2025, 10:16 am

 

नई दिल्ली, 3 सितंबर।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के राजभाषा अनुभाग द्वारा ‘हिंदी माह-2025’ का भव्य शुभारंभ सोमवार को किया गया। यह विशेष आयोजन 2 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा। इस पूरे महीने के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा, जिनका उद्देश्य हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना और भाषाई विविधता को मजबूत करना है।

पारंपरिक मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का आरंभ

उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन और मंगलाचरण के साथ हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रमुख प्रो. सुधा सिंह मौजूद रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव, IGNCA ने की।

इस मौके पर डॉ. प्रियंका मिश्रा, निदेशक (प्रशासन), IGNCA भी मंचासीन रहीं।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. अरुण भारद्वाज, प्रभारी, राजभाषा अनुभाग, IGNCA ने किया।
मंगलाचरण के बाद सुश्री गंगोत्री दास ने गौड़ीय नृत्य प्रस्तुत किया, जो प्रो. अमिताभ मुखर्जी की रचना और मधुआ मुखर्जी की कोरियोग्राफी पर आधारित गणेश स्तुति थी।

डॉ. जोशी का संदेश – “भाषाई विविधता को मजबूत करें”

अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि ‘हिंदी माह’ का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहित करना और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने सभी सहयोगियों से अपील करते हुए कहा,

“जैसा कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस और 11 दिसंबर को भारतीय भाषा दिवस मनाया जाएगा, इन तीन महीनों के दौरान हर व्यक्ति यह संकल्प ले कि वह अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त कम से कम एक भारतीय भाषा सीखे। जो इस चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा करेगा, उसे विशेष ‘प्रेरणा पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा।”

उन्होंने विशेष रूप से युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और देश की भाषाई विविधता को मजबूती प्रदान करें।
डॉ. जोशी ने यह भी बताया कि IGNCA में हिंदी प्रकाशनों की संख्या अब लगभग 50 प्रतिशत तक पहुँच गई है, और सोशल मीडिया व अन्य संचार माध्यमों में हिंदी के प्रयोग में लगातार वृद्धि हो रही है।

जटिल नहीं, सरल हिंदी का प्रयोग जरूरी

डॉ. जोशी ने कहा कि भाषा को सरल और सहज रखना चाहिए, ताकि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके। उन्होंने फिल्मों और सोशल मीडिया में हिंदी व हिंदी शिक्षकों का मजाक उड़ाने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हिंदी की गरिमा बनाए रखना हम सबका दायित्व है।

तकनीकी युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रयोग का उल्लेख करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि

“भले ही मशीनें अनुवाद में मदद कर सकती हैं, लेकिन अनुवाद की सटीकता और गुणवत्ता की अंतिम जिम्मेदारी मनुष्य की ही होती है।

डॉ. जोशी ने अंत में सभी सहयोगियों से प्रतियोगिताओं में भाग लेने और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं को संरक्षित व प्रोत्साहित करने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
इस अवसर पर उन्होंने ‘प्रतिज्ञा पत्र’ भी जारी किया।

प्रो. सुधा सिंह – “हिंदी से स्वार्थ नहीं, प्रेम जुड़ा होना चाहिए”

मुख्य अतिथि प्रो. सुधा सिंह ने कहा कि किसी भाषा को एक दिन, एक माह या एक वर्ष तक मनाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। लेकिन भाषा की भूमिका केवल उत्सव तक सीमित नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा,

“हमें खुद से पूछना होगा कि हम हिंदी से क्या चाहते हैं। क्या यह सिर्फ रोजगार या व्यापार का साधन है?
हमें हिंदी के प्रति प्रेम और जुनून विकसित करना चाहिए, न कि स्वार्थ।”

प्रो. सिंह ने हिंदी की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पाली, प्राकृत और अपभ्रंश से विकसित होकर खड़ी बोली तक पहुंची है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हिंदी की तकनीकी और प्रोफेशनल क्षेत्रों में उपस्थिति सीमित है।
युवाओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अन्य भारतीय भाषाओं के साथ एक विदेशी भाषा भी सीखनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने मीडिया की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया।

डॉ. प्रियंका मिश्रा – “हिंदी सप्ताह से हिंदी माह तक”

डॉ. प्रियंका मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा,

“कुछ वर्ष पहले हम सिर्फ हिंदी सप्ताह मनाते थे।
फिर इसे हिंदी पखवाड़ा तक बढ़ाया गया।
और इस बार हम हिंदी माह मना रहे हैं।
यह बदलाव IGNCA की हिंदी के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

आने वाले कार्यक्रम

‘हिंदी माह-2025’ के तहत कई रोचक प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे:

  • 3 सितंबरभूल गए या लुप्त हिंदी शब्दों पर प्रतियोगिता

  • 4 सितंबरस्व-रचित कविता पाठ प्रतियोगिता

  • 8 सितंबरस्वस्ति गायन, मंगलाचरण एवं भक्ति गीत प्रतियोगिता

  • 18 सितंबरदैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली क्षेत्रीय शब्दावली पर प्रतियोगिता

  • 22 सितंबरभाषा/सर्वेक्षण आधारित प्रतियोगिता

  • 29 सितंबरविशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम

  • 30 सितंबरपुरस्कार वितरण और समापन समारोह