एशिया का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज होने के नाते आईआईटी रुड़की शोध, नवाचार और समाज सेवा का आदर्श मॉडल : डॉ. जितेंद्र सिंह

5 September, 2025, 5:50 pm

 

रुड़की, 5 सितंबर 2025।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज आईआईटी रुड़की के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए इसे एशिया का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज और शोध, नवाचार व सामाजिक जुड़ाव का आदर्श संस्थान बताया।

डॉ. सिंह ने कहा कि 1847 में स्थापित यह संस्थान, जो पहले यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की के नाम से जाना जाता था, अपनी उत्कृष्टता और प्रतिष्ठा के कारण बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया के स्वतः आईआईटी में परिवर्तित हुआ, जो अपने आप में एक दुर्लभ उदाहरण है।

नवीनतम राष्ट्रीय रैंकिंग में छठा स्थान

उन्होंने जानकारी दी कि नवीनतम एनआईआरएफ रैंकिंग में आईआईटी रुड़की ने देशभर में छठा स्थान प्राप्त किया है। लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते यह संस्थान देश की अग्रणी तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में शुमार है।

हिमालयी अध्ययन और सुगंधित अर्थव्यवस्था पर जोर

अपने संबोधन में डॉ. सिंह ने संस्थान के भौगोलिक स्थान को देखते हुए हिमालयी अध्ययन को बढ़ावा देने की बात कही।
उन्होंने कहा कि संस्थान को आपदा प्रबंधन, पर्यावरणीय स्थिरता और सुगंधित पौधों पर आधारित अर्थव्यवस्था (Aromatic Economy) जैसे क्षेत्रों में शोध कार्य को और मजबूत करना चाहिए।

स्टार्टअप इकोसिस्टम में आईआईटी रुड़की की मजबूत भूमिका

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में पंजीकृत 1.7 लाख स्टार्टअप्स में से 240 से अधिक स्टार्टअप्स अकेले आईआईटी रुड़की से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा, “आपके नौ उत्कृष्टता केंद्र, आपदा जोखिम प्रबंधन, स्थिरता में अग्रणी कार्य और स्थानीय समुदायों के साथ गहरा जुड़ाव संस्थान को एक सच्चा रोल मॉडल बनाते हैं।”

50% स्टार्टअप छोटे शहरों से, अवसरों का लोकतंत्रीकरण

डॉ. सिंह ने कहा कि भारत अब वैश्विक स्टार्टअप परिदृश्य में तीसरे स्थान पर है और खास बात यह है कि करीब 50% स्टार्टअप छोटे शहरों और कस्बों से आ रहे हैं।
उन्होंने इसे अवसरों का लोकतंत्रीकरण बताते हुए कहा कि आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान इस रफ्तार को और बढ़ा सकते हैं।

अगला औद्योगिक क्रांति – बायोटेक्नोलॉजी आधारित

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि आने वाली अगली औद्योगिक क्रांति बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं को बायोटेक्नोलॉजी, रिजेनेरेटिव प्रोसेस, स्पेस टेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने लैवेंडर खेती में पर्पल रिवॉल्यूशन, बायो-ई³ नीति (रोज़गार, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था) जैसी सरकारी पहलों का उदाहरण देते हुए कहा कि अकादमिक और इंडस्ट्री के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है।

नौकरी के बजाय इनोवेशन आधारित उद्यमिता की ओर बढ़ें छात्र

डॉ. सिंह ने स्नातक हो रहे छात्रों से अपील की कि वे सिर्फ सरकारी या कॉर्पोरेट नौकरियों तक सीमित न रहें, बल्कि नवाचार-आधारित उद्यमिता को अपनाएं और रोज़गार सृजनकर्ता बनें।
उन्होंने याद दिलाया कि भारत की हाल की उपलब्धियां – जैसे वैक्सीन निर्माण, अंतरिक्ष अनुसंधान, वैश्विक इनोवेशन इंडेक्स में प्रगति – सरकार, निजी क्षेत्र और युवा प्रतिभाओं के संयुक्त प्रयास से ही संभव हुई हैं।

“आप सबसे अच्छे समय में पैदा हुए हैं। यह आपका सौभाग्य है और मैं आशा करता हूं कि आप भारत द्वारा दिए जा रहे अवसरों का अधिकतम लाभ उठाएंगे।” – डॉ. जितेंद्र सिंह

आईआईटी रुड़की की उपलब्धियां

  • लगातार 4 वर्षों तक CII का 'मोस्ट इनोवेटिव इंस्टीट्यूट अवॉर्ड'

  • 'गति शक्ति अचीवर अवार्ड' – STEM में उत्कृष्ट महिलाओं को सम्मानित करने के लिए

  • 9 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

  • 240+ स्टार्टअप्स

समारोह में मौजूद गणमान्य व्यक्ति

इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, डायरेक्टर प्रो. कमल किशोर पंत, डिप्टी डायरेक्टर प्रो. यू.पी. सिंह, वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे।

यह समारोह न केवल आईआईटी रुड़की की ऐतिहासिक विरासत का उत्सव था, बल्कि भारत के भविष्य के विज्ञान, तकनीक और नवाचार के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत भी था।