एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का जलवा, चीन के सोशल मीडिया पर छाए PM MODI
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लेखक: सना हाशमी
बीजिंग/नई दिल्ली।
हाल ही में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा ने न केवल कूटनीतिक स्तर पर बल्कि चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी जबरदस्त हलचल मचा दी।
चीन के वीबो, वीचैट, डॉयिन (चीनी टिक-टॉक) और बिलिबिली जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मीम्स, वीडियो और चर्चाओं की बाढ़ आ गई, जिनमें मोदी अन्य सभी वैश्विक नेताओं से कहीं ज्यादा चर्चा में रहे।
मोदी बने कूटनीतिक मंचन के मुख्य अभिनेता
चीन की सोशल मीडिया यूजर्स ने एससीओ शिखर सम्मेलन को "कूटनीतिक मंचन" करार दिया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इसके मुख्य अभिनेता थे।
चीन के चोंगयांग इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल स्टडीज़, रेनमिन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता लियू यिंग ने लिखा,
“दूर का रिश्तेदार उतना अच्छा नहीं जितना नजदीकी पड़ोसी”,
संकेत देते हुए कि भारत-चीन संबंधों में सकारात्मकता की संभावना बढ़ी है।
मोदी के लिए भव्य स्वागत – लाल कालीन की चर्चा
वीबो और बायदु पर हजारों टिप्पणियों में मोदी के चीन पहुंचने पर दिए गए भव्य स्वागत का जिक्र रहा।
एक यूजर ने लिखा:
“मोदी का स्वागत सबसे दिल छू लेने वाला क्षण था। लंबा लाल कालीन, सटीक गठन में खड़ा सम्मान गार्ड और शानदार नृत्य प्रस्तुति – यह किसी सम्राट के स्वागत से कम नहीं था।”
मोदी-पुतिन की दोस्ती पर फोकस
सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा वायरल हुईं मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तस्वीरें और वीडियो।
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दोनों नेताओं का हाथ पकड़कर मंच पर प्रवेश करना,
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और फिर पुतिन की रूसी बख़्तरबंद 'औरस सेनाट' लिमोज़ीन में साथ सफर करना,
चीन के इंटरनेट पर सबसे बड़ी सनसनी बन गया।
वीबो पर हैशटैग
#एससीओ_मोदी_ने_पुतिन_का_हाथ_पकड़ा और
#मोदी_पुतिन_की_कार_में_गए
लाखों बार देखे गए।
कई यूजर्स ने चुटकी ली:
“ट्रंप यह मोदी-पुतिन भाईचारा देखकर कैसा महसूस कर रहे होंगे?”
यहां तक कि ग्लोबल टाइम्स के पूर्व प्रधान संपादक हु शीज़िन ने भी टिप्पणी की कि ट्रंप इस दोस्ती को देखकर खिन्न हो सकते हैं, जिससे मीम्स और ज्यादा वायरल हुए।
एक वीबो पोस्ट में लिखा गया:
“मोदी का अपनी आधिकारिक गाड़ी छोड़कर पुतिन की कार में जाना केवल यात्रा नहीं बल्कि भारत-रूस की गहरी दोस्ती का कूटनीतिक संदेश था।”
वीडियो और मीम्स ने मचाई धूम
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डॉयिन (TikTok का चीनी वर्जन) पर कई वीडियो में मोदी को हमेशा मुस्कुराते, ऊर्जावान और सौहार्दपूर्ण दिखाया गया।
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कुछ वीडियोज़ में मोदी-पुतिन के हाथ पकड़ने वाले क्लिप्स को ट्रंप के पुराने वीडियो के साथ जोड़कर दिखाया गया, जिससे यह संदेश गया कि भारत-रूस की दोस्ती मजबूत है और ट्रंप इससे नाराज़ हैं।
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बिलिबिली पर एक वायरल पोस्ट में लिखा गया:
“मोदी ने ट्रंप की स्पॉटलाइट छीन ली। अगर ट्रंप भी आते, तो शायद अपनी नृत्य शैली से कुछ लोकप्रियता बटोर पाते।”
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एक एआई वीडियो में मोदी और ट्रंप को एक चीनी शाही नाटक में दिखाया गया, जिसमें मोदी ने ट्रंप को "पराजित" कर विजय हासिल की।
कुछ आलोचनाएं भी हुईं लेकिन बहुत कम
हालांकि अधिकांश टिप्पणियां मोदी की तारीफ में थीं, लेकिन कुछ आलोचनात्मक पोस्ट भी सामने आईं।
एक लोकप्रिय वीबो पोस्ट में लिखा गया:
“पुतिन के प्रति मोदी की अत्यधिक उत्साही प्रतिक्रिया ने भारत की कमजोर स्थिति को उजागर किया। अंततः भारत अमेरिका और पश्चिम के सामने झुक जाएगा।”
लेकिन ऐसे विचार सीमित थे।
इसके विपरीत एक व्यापक रूप से साझा पोस्ट ने लिखा:
“चीन यात्रा मोदी के लिए वर्षों में सबसे सुखद यात्रा रही।”
भारत की बदलती छवि और अमेरिका पर फोकस
चीन के सोशल मीडिया पर भारत की सकारात्मक छवि दिखाना बहुत दुर्लभ रहा है।
लेकिन इस बार तस्वीरें और मीम्स मोदी को
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अमेरिका का सामना करते हुए,
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चीन के साथ संबंध सुधारते हुए,
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और रूस को भरोसा दिलाते हुए दिखा रहे थे।
इसका कारण स्पष्ट है —
वर्तमान में चीन का मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका है।
इसलिए सोशल मीडिया पर
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भारत-अमेरिका मतभेदों को उभारना,
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भारत-रूस दोस्ती का जश्न मनाना,
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और भारत-चीन संबंधों में स्थिरता का संदेश देना
ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है ।
निष्कर्ष
एससीओ शिखर सम्मेलन चीन के सोशल मीडिया पर मोदी की सशक्त कूटनीतिक उपस्थिति का प्रतीक बन गया।
चीन के इंटरनेट पर मोदी की चर्चा ने यह साफ कर दिया कि भारत की वैश्विक भूमिका बदल रही है और पीएम मोदी अब केवल एक क्षेत्रीय नेता नहीं, बल्कि एक वैश्विक कूटनीतिक शक्ति के रूप में देखे जा रहे हैं।
“मोदी ने इस बार एससीओ में सबका ध्यान खींचा और कूटनीति के मंच पर सबसे चमकदार सितारे साबित हुए।” – वीबो पोस्ट
मुख्य बिंदु:
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मोदी के भव्य स्वागत पर लाखों टिप्पणियां
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मोदी-पुतिन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाए
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ट्रंप पर चुटकुले और एआई मीम्स वायरल
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चीन के सोशल मीडिया पर भारत की दुर्लभ सकारात्मक छवि
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अमेरिका के खिलाफ भारत-रूस-चीन समीकरण की झलक