शिल्प समागम मेला 2025: कला, शिल्प और संस्कृति का भव्य संगम

बेंगलुरु, 6 सितंबर 2025।
भारत की समृद्ध कला, शिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाला बहुप्रतीक्षित शिल्प समागम मेला 2025 आज बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में भव्य रूप से प्रारंभ हुआ। यह मेला 5 से 14 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस आयोजन का आयोजन भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा ट्यूलिप (TULIP) के सहयोग से किया जा रहा है।
इस वर्ष के मेले में 13 से अधिक राज्यों के शिल्पकारों द्वारा बनाए गए अनूठे हस्तशिल्प प्रदर्शित किए गए हैं। मेले में 75 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें नक्काशीदार धातु शिल्प, खूबसूरत लकड़ी के शिल्प, बांस और cane (छड़ी) उत्पाद, मिट्टी के बर्तन (पॉटरी), हस्तनिर्मित टेक्सटाइल्स और हाथ से बुने कपड़ों के अद्वितीय संग्रह शामिल हैं। यह मेला न केवल भारत की कला और शिल्प की गहरी परंपरा को उजागर करता है, बल्कि शिल्पकारों को शहरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जोड़ने का एक महत्वपूर्ण मंच भी प्रदान करता है।
मेले का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक शिल्प और कारीगरी को बढ़ावा देना और अनुसूचित जाति (SC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा सफाई मित्र समुदायों से जुड़े कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर उपलब्ध कराना है।
उद्घाटन समारोह
मेले का शुभारंभ केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले, बेंगलुरु सेंट्रल से सांसद श्री पी.सी. मोहन, कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, सामाजिक कल्याण विभाग के प्रतिनिधि, देशभर से आए शिल्पकार और सांस्कृतिक हस्तियां मौजूद रहीं।
उद्घाटन के दौरान डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि यह मेला "वोकल फॉर लोकल" अभियान को गति देने के साथ-साथ पारंपरिक कारीगरी को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का प्रयास है कि शिल्पकारों को नवीनतम तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए।
मेले की प्रमुख विशेषताएं
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75 आकर्षक स्टॉल में देशभर के शिल्पकारों की उत्कृष्ट कृतियों का प्रदर्शन।
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धातु शिल्प, लकड़ी के हस्तशिल्प, बांस एवं cane उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र और हस्तबुनाई के उत्पादों का भव्य संग्रह।
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विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन।
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शिल्पकारों और ग्राहकों के बीच सीधी बातचीत और व्यापारिक अवसरों का सृजन।
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अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और सफाई मित्र समुदायों के कारीगरों के सशक्तिकरण पर विशेष जोर।
कब और कहां
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तारीख: 5 से 14 सितंबर 2025
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स्थान: फ्रीडम पार्क, बेंगलुरु
यह मेला न केवल हस्तशिल्प प्रेमियों और पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है, बल्कि यह भारत के शिल्पकारों के लिए नए अवसरों के द्वार भी खोलेगा। आयोजकों का कहना है कि इससे देश के पारंपरिक हस्तशिल्प को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
रिपोर्ट: ब्रॉडकास्ट मंत्रा न्यूज़