भूपेन हजारिका की जयंती पर ब्रह्मपुत्र के किनारों पर गूंजेगी संगीत की धुन

7 September, 2025, 11:06 pm

भूपेन हजारिका की जयंती पर ब्रह्मपुत्र के किनारों पर गूंजेगी संगीत की धुन, ‘बिस्तीर्ण परोरे’ सांस्कृतिक यात्रा का शुभारंभ आज

नई दिल्ली, 7 सितंबर 2025
भारत रत्न और ‘ब्रह्मपुत्र के गायक’ कहे जाने वाले डॉ. भूपेन हजारिका की जयंती को यादगार बनाने के लिए इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) और बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की ओर से ‘बिस्तीर्ण परोरे: ए म्यूजिकल वॉयेज फ्रॉम सदिया टू धुबरी’ नामक विशेष सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह अनोखी यात्रा कल सुबह गुजान, डिब्रूगढ़ से आरंभ होगी।

‘बिस्तीर्ण परोरे’ का नाम भूपेन दा के प्रसिद्ध गीत से लिया गया है, जो ब्रह्मपुत्र की विशालता और उसकी गोद में बसे लोगों की संघर्ष गाथा और सपनों को बयां करता है। इस यात्रा का उद्देश्य असम की विविध सांस्कृतिक धारा को जोड़ना और डॉ. हजारिका के संदेशों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।

पहला आयोजन: बोगीबील, डिब्रूगढ़

यात्रा का पहला कार्यक्रम 8 सितंबर को बोगीबील, डिब्रूगढ़ में होगा, जिसमें कई सांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियाँ होंगी।

  • चित्रकला प्रतियोगिता

  • डॉ. भूपेन हजारिका के जीवन और कार्यों पर आधारित क्विज प्रतियोगिता

  • मोरान, मोटोक, चाय जनजाति, सोनवाल कछारी, देउरी और गोरखा समुदायों की समूह नृत्य प्रस्तुतियाँ

ये कार्यक्रम असम की विविधता को दर्शाते हुए भूपेन दा की संगीत यात्रा को जीवंत करेंगे।

संगीत जगत से श्रद्धांजलि

इस अवसर पर कई प्रमुख संगीतकारों और कलाकारों के वीडियो संदेश भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
इनमें शामिल हैं:

  • वायलिन वादक सुनीता भुयान खोंड

  • संगीत निर्देशक ध्रुबज्योति फुकन, अमृत प्रीतम, लोहित गोगोई, सैयद सादुल्ला

  • प्रसिद्ध कलाकार रामेन चौधरी, समर हजारिका

  • भजन गायक अनूप जलोटा

यात्रा का कार्यक्रम

‘बिस्तीर्ण परोरे’ यात्रा चार प्रमुख पड़ावों से होकर गुजरेगी:

  • 8 सितंबर – बोगीबील, डिब्रूगढ़

  • 11 सितंबर – सिलघाट, तेजपुर

  • 15 सितंबर – पांडु, गुवाहाटी (संभावित)

  • 18 सितंबर – IWAI जेट्टी, जोगीघोपा (संभावित)

भूपेन दा की प्रेरणा

IWAI के निदेशक प्रबीन बोरा़ ने कहा,

“भूपेन दा के गीत सिर्फ संगीत नहीं थे, बल्कि मानवता, एकता और न्याय की आवाज़ थे। उनकी रचनाओं में ब्रह्मपुत्र किनारे के जीवन की खुशियां और संघर्ष झलकते थे।”

उन्होंने आगे कहा,

“भूपेन दा का संगीत ब्रह्मपुत्र की तरह सीमाओं के पार बहता रहा और शांति व भाईचारे का संदेश देता रहा। यह यात्रा उनके संदेश को एक बार फिर जन-जन तक पहुँचाएगी।”

भूपेन हजारिका – ब्रह्मपुत्र की आत्मा

2019 में भारत रत्न से सम्मानित डॉ. भूपेन हजारिका को असम ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उनके सार्वभौमिक संदेशों और लोकधारा से जुड़े संगीत के लिए याद किया जाता है।
उनका प्रसिद्ध गीत ‘बिस्तीर्ण परोरे’ सिर्फ ब्रह्मपुत्र का वर्णन नहीं था, बल्कि यह गीत असम की आत्मा और उसकी सामाजिक-सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।

इस सांस्कृतिक यात्रा के माध्यम से न केवल भूपेन दा को श्रद्धांजलि दी जाएगी, बल्कि उनके संदेशों को ब्रह्मपुत्र की धारा की तरह दूर-दूर तक फैलाया जाएगा।