“ज्ञान भारतम” पहल भारत की पांडुलिपि धरोहर को जीवंत विरासत बनाएगी: केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

13 September, 2025, 8:59 pm

 

नई दिल्ली, 13 सितंबर 2025

भारत की पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित, डिजिटाइज और वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू की गई “ज्ञान भारतम” राष्ट्रीय पहल ने एक ऐतिहासिक शुरुआत की। इस पहल के तहत 11 से 13 सितंबर 2025 तक विज्ञान भवन, नई दिल्ली में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन में भारत और विदेशों से आए 1,100 से अधिक विद्वानों, विशेषज्ञों, संस्थानों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में शामिल होकर विभिन्न वर्किंग ग्रुप की प्रस्तुतियों को देखा और उनका मार्गदर्शन किया।

समापन सत्र में संस्कृति मंत्री का संबोधन

समापन सत्र में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शुरू की गई यह पहल भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को नया जीवन देने का प्रयास है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा:

"हमारा उद्देश्य पांडुलिपियों को सिर्फ संरक्षित करना नहीं, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता तक पहुँचाना है, ताकि हर भारतीय अपने पूर्वजों की बौद्धिक धरोहर पर गर्व कर सके। जब तक यह ज्ञान आम लोगों के जीवन से जुड़कर व्यवहारिक रूप में उपयोगी नहीं बनता, तब तक यह आंदोलन अधूरा रहेगा।"

मंत्री ने कहा कि दिल्ली घोषणा-पत्र केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि सभी प्रतिभागियों का सामूहिक संकल्प है, जो भविष्य में और अधिक व्यापक होगा।

‘ज्ञान सेतु’ प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान

इस अवसर पर ‘ज्ञान सेतु’ प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया।

  • प्रथम स्थान: आर. रामकृष्णन, CEO, Inverse AI

  • द्वितीय स्थान: प्रो. रवि किरण

  • तृतीय स्थान (संयुक्त रूप से): वेंकट रवि तेजा विला (मां-बेटे की जोड़ी) और डॉ. अर्जुन घोष व चेतन अरोड़ा

सम्मेलन के दौरान ज्ञान भारतम का लोगो लॉन्च किया गया और ‘ज्ञान भारतम’ गीत का लाइव प्रदर्शन मेरी ज़िंदगी बैंड द्वारा किया गया।

दिल्ली घोषणा-पत्र (Gyan Bharatam Sankalp Patra)

सम्मेलन के अंतिम दिन अमिता प्रसाद सरभाई, संयोजक एवं अतिरिक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली घोषणा-पत्र पढ़ा, जिसे सभी प्रतिभागियों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया।

घोषणा-पत्र के मुख्य संकल्प:

  • भारत की पांडुलिपियों को विकसित भारत 2047 की सांस्कृतिक नींव के रूप में संरक्षित और सुरक्षित रखना।

  • पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और वैश्विक प्रसार को प्राथमिकता देना।

  • ज्ञान भारतम को जन आंदोलन के रूप में विकसित करना।

  • सभी भाषाओं और लिपियों को एकता और विविधता के प्रतीक के रूप में बढ़ावा देना।

  • युवाओं, महिलाओं, छात्रों और आम नागरिकों को इस मिशन से जोड़ना।

  • विदेशों में मौजूद पांडुलिपियों को वापस लाने या उनके डिजिटल स्वरूप को सुरक्षित करना।

सम्मेलन का महत्व

संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने समापन रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा,

“भारत की पांडुलिपियों में मानव सभ्यता की पूरी विकास यात्रा के पदचिह्न सुरक्षित हैं। ये केवल राजवंशों के अभिलेख नहीं, बल्कि विचारों और मूल्यों के भंडार हैं, जिन्होंने पूरी सभ्यता को दिशा दी है।"

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में यह संदेश दिया कि पांडुलिपियों को केवल पुरातन अवशेष नहीं, बल्कि जीवंत धरोहर के रूप में देखा जाए।

निष्कर्ष

तीन दिवसीय ज्ञान भारतम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने न केवल विद्वानों के बीच गहन विचार-विमर्श का मंच उपलब्ध कराया, बल्कि इसे जन आंदोलन में बदलने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया।
इस पहल का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को भारत की प्राचीन बौद्धिक संपदा से जोड़ना और विश्व स्तर पर भारत की सांस्कृतिक नेतृत्व भूमिका को मजबूत करना है।