एमएसआई और आईसीपीएस द्वारा डिजिटल संविधानवाद पर संगोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली, 19 सितंबर 2025 – महाराजा सूरजमल संस्थान (एमएसआई) ने संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) के सहयोग से डिजिटल संविधानवाद विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन अपने मुख्य सभागार में किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसके बाद कार्यक्रम की संयोजक डॉ. मीनाक्षी सहरावत ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी और आईसीपीएस की निदेशक डॉ. सीमा कौल उपस्थित रहे।
सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने डिजिटल इंडिया की भूमिका, डेटा संरक्षण की आवश्यकता, और नए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(A) के तहत युवाओं की जिम्मेदारियों को भी रेखांकित किया। सुप्रीम कोर्ट की प्राची प्रताप ने डीपीडीपी अधिनियम, 2023 और साइबर कानून के विकास पर चर्चा की, वहीं श्री वैभव चड्ढा (ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी) ने साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध के कानूनी पहलुओं को विस्तार से बताया। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट संजय वशिष्ठ ने उभरती तकनीकों और डिजिटल अधिकारों के भविष्य पर अपना दृष्टिकोण साझा किया।
इस संगोष्ठी ने सांसदों, न्यायविदों और शिक्षाविदों को एक साझा मंच पर लाकर डिजिटल युग में संवैधानिक मूल्यों को सुरक्षित रखने की दिशा में सार्थक संवाद को बढ़ावा दिया। कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही था कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और डिजिटल अधिकारों की रक्षा आवश्यक है, और इस दिशा में युवाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भविष्य की दिशा:
कार्यक्रम का समापन एक खुले संवाद के साथ हुआ, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने विशेषज्ञों से सवाल पूछे और डिजिटल युग में नैतिक डिजिटल नागरिकता (Digital Citizenship) के महत्व पर चर्चा की। यह संगोष्ठी इस बात का प्रमाण बनी कि भारत में डिजिटल संविधानवाद को लेकर एक गंभीर और दूरदर्शी विमर्श शुरू हो चुका है – जहां कानून, तकनीक और संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन की आवश्यकता को प्रमुखता दी जा रही है।