भाजपा स्कूलों में आरएसएस का इतिहास पढ़ाए, लेकिन बच्चों को सच बताए - सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2025
आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली के स्कूलों में बच्चों को आरएसएस का इतिहास पढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन सच पढ़ाने अपील भी की है। "आप" दिल्ली के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा स्कूलों में आरएसएस का इतिहास पढ़ाए, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बच्चों को सच बताए। आरएसएस के सामाजिक व सेवा कार्य के साथ ही बच्चों को ये भी बताया जाए कि स्वतंत्रता संग्राम आरएसएस की कोई भूमिका नहीं थी। आरएसएस की मातृ संस्था हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ तीन राज्यों में सरकार बनाई और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिंदुओं से अंग्रेजी फौज में भर्ती होने की अपील की। बच्चों को ये भी पढ़ाया जाए कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का आरएसएस और हिंदू महासभा से रिश्ता था।
बुधवार को "आप" मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इतिहास का हिस्सा होने वाली किसी भी संस्था को पढ़ाना ठीक है। जैसे अकबर, अशोक, नादिर शाह, हिटलर या महात्मा गांधी को पढ़ाया जाता है, लेकिन सच्चाई बताई जाए, झूठे ढोल न बजाए जाएं। उन्होंने भाजपा, उसकी मातृ संस्था भारतीय जनसंघ, आरएसएस और हिंदू महासभा का पूरा इतिहास पढ़ाने की मांग की।
ऐतिहासिक तथ्य रखते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हिंदू महासभा की शुरुआत 1915 में हुई और इसके प्रमुख नेता विनायक दामोदर सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। इसके बाद 1925 में आरएसएस बनी। आजादी के समय हिंदू महासभा 32 साल और आरएसएस 22 साल पुरानी थीं, लेकिन इतिहास में भारत की आजादी में इनका कोई योगदान नहीं मिलता है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का दोनों ने विरोध किया और इस आंदोलन में शामिल नहीं हुए। महात्मा गांधी भारत छोड़ो आंदोलन चला रहे थे, जबकि आरएसएस और हिंदू महासभा द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ने के लिए हिन्दुओं से अंग्रेजी फौज में भर्ती होने की अपील कर रही थी।
सौरभ भारद्वाज ने आगे बताया कि हिंदू महासभा राजनीतिक थी, इसलिए आरएसएस को गैर-राजनीतिक बनाया गया। आज भी आरएसएस खुद को गैर-राजनीतिक बताती है, लेकिन भाजपा के हर फैसलों में दखल भी देती है। हिंदुओं के हित का बहाना बनाकर 1941 में हिंदू महासभा ने बंगाल में मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंत्री बने। 1942-47 तक सिंध में भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन में सरकार चलाई। फिर 1943-45 तक नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में भी मुस्लिम लीग के साथ सरकार चलाई। उस समय प्रोविंसेस में सरकारें बनती थीं और ये हिंदुओं की मेहनत से मुस्लिम लीग के साथ सरकारें बनाते रहे।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब भारत आजाद हुआ, तो आरएसएस और हिंदू महासभा ने आजादी के उत्सव में कोई दिलचस्पी नहीं ली। जबकि आजकल यही भाजपा क्रिकेट मैच जीतने पर खुशी न मनाने को देशद्रोही कहती हैं, लेकिन इसी ने आजादी के उत्सव में भाग तक नहीं लिया। आरएसएस ने भारत के झंडे (तिरंगे) का विरोध किया और आजादी के बाद कई दशकों तक इनका विरोध जारी रहा। करीब 50-52 साल तक आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे आरएसएस और हिंदू महासभा से जुड़े रहे।
सौरभ भारद्वाज ने जोर दिया कि इतिहास में अच्छा-बुरा दोनों होता है, इसलिए कोई दिक्कत नहीं है। अच्छी बातें जैसे शाखाएं, अस्त्र-शस्त्र विद्या आदि बताएं, लेकिन राजनीतिक इतिहास भी पढ़ाएं। हिस्ट्री बुक में मुख्यतः पॉलिटिकल हिस्ट्री पढ़ाई जाती है, सोशल रिफॉर्मर्स कम पढ़ाया जाता है। इसलिए इनका राजनीतिक इतिहास बच्चों को जरूर पढ़ाना चाहिए। सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की भाजपा सरकार के इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से पूछा कि क्या आरएसएस का पूरा इतिहास पढ़ाया जाएगा या चुनिंदा हिस्से? हमारी चिंता सिर्फ इसकी है।