वैश्विक चेतावनी: प्रकृति के टूटते संबंधों से खतरे में धरती पर जीवन

11 October, 2025, 8:56 pm

 

 

अबू धाबी/बॉन, 11 अक्टूबर 2025:
प्रकृति के पारिस्थितिक तंत्रों के बीच टूटते रिश्ते और बिखरते प्राकृतिक नेटवर्क अब धरती पर जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। नदियों पर बांध, बढ़ती खेती, शहरी विस्तार और अव्यवस्थित बुनियादी ढांचे ने भोजन, जल, जैवविविधता और आजीविका की सुरक्षा को संकट में डाल दिया है।

संयुक्त राष्ट्र के दो निकायों — यूएनसीसीडी (UNCCD) और सीएमएस (Convention on Migratory Species) — द्वारा जारी “ग्लोबल लैंड आउटलुक थीमैटिक रिपोर्ट ऑन इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी एंड लैंड रेस्टोरेशन” में यह खुलासा किया गया है। यह रिपोर्ट आईयूसीएन वर्ल्ड कंज़र्वेशन कांग्रेस के दौरान अबू धाबी में जारी की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, धरती की करीब एक-तिहाई ज़मीन पहले ही मानव गतिविधियों से गहराई से प्रभावित हो चुकी है। दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक नदियाँ मोड़ दी गई हैं या बांधों से रोकी गई हैं।
उदाहरण के तौर पर —

  • मेकांग नदी, जो कभी विश्व की सबसे समृद्ध अंतर्देशीय मत्स्य प्रणाली थी, आज बांधों से विभाजित होकर लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही है।

  • सेरेंगीटी–मारा क्षेत्र में कृषि विस्तार और बाड़ों ने जंगली जानवरों के ऐतिहासिक प्रवास मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि सड़कों, रेलमार्गों और शहरों का विस्तार प्राकृतिक आवासों को टुकड़ों में बाँट रहा है। अगर यही रुझान जारी रहा तो 2050 तक सड़कों का वैश्विक नेटवर्क 60 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जिससे पर्यावरणीय संकट और गहराएगा।

यूएनसीसीडी की कार्यकारी सचिव यास्मीन फौअद ने कहा:

“जीवन स्वस्थ भूमि और जल प्रणालियों पर निर्भर है। जब ये संबंध टूटते हैं, तो सबसे पहले कमजोर वर्ग प्रभावित होते हैं। हमें ‘रीस्टोर टू कनेक्ट’ और ‘कनेक्ट टू रीस्टोर’ की दिशा में काम करना होगा।”

सीएमएस की कार्यकारी सचिव एमी फ्रेंकेल ने कहा कि प्रवासी प्रजातियों की सुरक्षा के लिए केवल उनके आवास की रक्षा पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन पारिस्थितिक नेटवर्कों को भी पुनर्स्थापित करना होगा जिनसे उनका अस्तित्व जुड़ा है। उन्होंने चेताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो बड़ी बिल्लियों, मृग, ताजे पानी की मछलियों और पक्षियों जैसी प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर पहुँच जाएँगी।

यूएनसीसीडी के मुख्य वैज्ञानिक बैरन ऑर ने कहा कि विलंब की कीमत बहुत महंगी होती है —

“जब मिट्टी खत्म होती है और नदियाँ प्रदूषित होती हैं, तब पुनर्स्थापना धीमी और महंगी साबित होती है। रोकथाम और बड़े पैमाने पर पुनरुद्धार ही सस्ता और प्रभावी उपाय है।”

रिपोर्ट में कई सफल उदाहरणों का उल्लेख भी है —

  • यूरोपीय ग्रीन बेल्ट, जो 24 देशों में फैली है,

  • कोस्टा रिका के वाइल्डलाइफ कॉरिडोर, जिन्होंने जगुआर जैसी प्रजातियों को वापस लाया,

  • और बोलीविया में स्वदेशी समुदायों द्वारा पारंपरिक कृषि-वानिकी के ज़रिए जैवविविधता और आजीविका को साथ बढ़ाया गया।

संयुक्त राष्ट्र की इकोसिस्टम रेस्टोरेशन की दशक (2021–2030) की मध्यावधि में यह रिपोर्ट देशों को याद दिलाती है कि भूमि, जैवविविधता और जलवायु लक्ष्य तभी पूरे हो सकते हैं जब वे एक साथ मिलकर काम करें।

यह केवल प्रकृति को बचाने की बात नहीं है — बल्कि उस जीवन-वेब को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है जिस पर पूरी मानवता निर्भर है।