‘सहकारिता से समृद्धि’ की ओर बड़ा कदम रायगढ़ फिशरी क्लस्टर बना ब्लू इकॉनमी का मॉडल केंद्र

28 October, 2025, 5:52 pm

 

मुंबई, 28 अक्टूबर 2025

भारत की ‘ब्लू इकॉनमी’ यानी समुद्र और मत्स्य आधारित अर्थव्यवस्था अब सहकारी नेतृत्व के रास्ते आगे बढ़ रही है। महाराष्ट्र के रायगढ़ में विकसित किया जा रहा फिशरीज़ कोऑपरेटिव क्लस्टर इस दिशा में एक आदर्श मॉडल बनकर उभर रहा है। सोमवार को केंद्रीय मत्स्य विभाग (DoF) के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिक्‍ही ने रायगढ़ क्लस्टर का दौरा किया और मत्स्य सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता ‘सहकारिता से समृद्धि’ की भावना के साथ मत्स्य पालन को आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस क्लस्टर की गतिविधियों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और फिशरीज़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF) जैसी राष्ट्रीय योजनाओं से जोड़ा जा रहा है ताकि जमीनी स्तर पर मत्स्य पालन की पूरी वैल्यू चेन — उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग और मार्केटिंग तक — सशक्त हो सके।


रायगढ़ क्लस्टर – सहकारी मॉडल की नई मिसाल

रायगढ़ में 156 प्राथमिक मत्स्य सहकारी समितियों और 9 Fish Farmer Producer Organizations (FFPOs) से जुड़े 251 प्रतिनिधियों ने इस संवाद में हिस्सा लिया। सचिव डॉ. लिक्‍ही ने नेशनल फिशरीज़ डेवलपमेंट बोर्ड (NFDB) को निर्देश दिया कि जिले के हर तालुका में जागरूकता और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाए ताकि योजनाओं का लाभ सीधे मछुआरों और सहकारी संस्थाओं तक पहुंच सके।

उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक समीक्षा बैठक नहीं बल्कि एक “परामर्शी योजना प्रक्रिया” की शुरुआत है, जिसमें सहकारी संस्थाओं के सुझावों को नीति निर्माण में शामिल किया जाएगा।


सरकार की समग्र दृष्टि — सहयोग, तकनीक और नवाचार

कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए संयुक्त सचिव (इनलैंड फिशरीज़) श्री सागर मेहरा ने विभिन्न मंत्रालयों और योजनाओं के बीच कन्वर्जेंस आधारित विकास मॉडल की जरूरत पर बल दिया। वहीं संयुक्त सचिव (मरीन फिशरीज़) श्रीमती नीतू कुमारी ने बताया कि बंदरगाह प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (SoPs) तैयार की जा रही हैं, जिससे मछुआरा सहकारी संस्थाएं स्वयं अपने हार्बर और लैंडिंग सेंटर को दक्षता से चला सकें।

NFDB के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बी.के. बेहरा ने रायगढ़ की मत्स्य अर्थव्यवस्था की रूपरेखा प्रस्तुत की और आने वाले पांच वर्षों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड चेन, प्रोसेसिंग यूनिट, मार्केट लिंक और वेलफेयर स्कीम्स पर आधारित योजनाओं का खाका रखा।


स्थानीय आवश्यकताओं और महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर

मछुआरा प्रतिनिधियों ने बताया कि रायगढ़ क्षेत्र को फिशिंग जेट्टी, आइस प्लांट, कोल्ड स्टोरेज और ड्रेजिंग सुविधाओं की जरूरत है। महिलाओं ने स्वास्थ्य शिविर, स्वच्छता सुविधाएं और महिला समूहों के लिए ऋण सहायता जैसी मांगें उठाईं। प्रतिनिधियों ने अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश के सफल मॉडल देखने के लिए एक्सपोजर विज़िट्स की भी सिफारिश की।


मत्स्य क्लस्टरों का व्यापक दृष्टिकोण

देशभर में 34 फिशरीज़ कोऑपरेटिव क्लस्टर पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत विकसित किए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य संगठित, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ मत्स्य उद्योग का निर्माण करना है। उत्पादन से लेकर निर्यात तक की पूरी श्रृंखला में सामूहिक विकास, रोजगार सृजन, नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है।

इन क्लस्टरों को सशक्त बनाने के लिए मत्स्य विभाग खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, NABARD और MSME मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है, ताकि मत्स्य क्षेत्र न केवल आत्मनिर्भर बने बल्कि भारत की ब्लू इकॉनमी का प्रमुख इंजन भी बन सके।


, रायगढ़ क्लस्टर सिर्फ एक स्थानीय पहल नहीं, बल्कि यह भारत में सहकारी आंदोलन और ब्लू इकॉनमी के समन्वय का प्रतीक है। यह मॉडल दिखाता है कि अगर सरकार, सहकारी संस्थाएं और समुदाय एक साझा दृष्टि के साथ काम करें, तो मत्स्य क्षेत्र न केवल रोजगार दे सकता है बल्कि समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग का वैश्विक उदाहरण भी बन सकता है।