नदियों के अधिकार और सतत् विकास की दिशा में वैश्विक भागीदारी की अपील

9 November, 2025, 7:05 pm

 

नई दिल्ली, 9 नवंबर 2025 |
भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नदी संरक्षण और “ब्लू इकॉनमी” को लेकर नई दिशा में बढ़ रहा है। इसी क्रम में 4th International River Congress (IRC4) का आयोजन  इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन South Asian Institute for Advanced Research and Development (SAIARD) की ओर से किया गया, जिसका विषय था — “Global Partnerships & River Finance for a Sustainable Future: The Yamuna Diary”।

इस कांग्रेस में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों, और पर्यावरणविदों ने नदी शासन, वित्तीय साझेदारी और सतत विकास पर खुलकर चर्चा की।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन,जल शक्ति मंत्रालय,भूमि संसाधन विभाग,राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण,ब्रहमपुत्र बोर्ड और कई अन्य संस्थाओं का सहयोग प्राप्त था।

 “नदियां सिर्फ संसाधन नहीं, जीवित अस्तित्व हैं”

कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए डॉ. रणबीर सिंह (आईएएस, सेवानिवृत्त), अध्यक्ष ब्रहमपुत्र बोर्ड ने कहा —

 “नदियां केवल उपयोग की वस्तु नहीं, बल्कि जीवित संस्थाएं हैं जिन्हें अधिकार, संरक्षण और सम्मान की जरूरत है।”

उन्होंने छठ पूजा के दौरान यमुना नदी में प्रदूषण का उदाहरण देते हुए शहरी नदी प्रबंधन की कमजोरियों पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि मानव और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बनाते हुए जवाबदेह संस्थागत ढांचा तैयार करना समय की मांग है।

आईआईपीए के प्रो. वी. के. शर्मा ने कहा —

 “हर सहायक नदी और हर धारा एक जीवित तंत्र का हिस्सा है। नदियों का भविष्य केवल सरकार नहीं, समाज की सामूहिक जिम्मेदारी से तय होगा।”

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और नई पहल

जापान दूतावास के काउंसलर (इकोनॉमिक अफेयर्स) केंजी मात्सुआओ ने टोक्यो के तामा रिवर बेसिन का उदाहरण देते हुए कहा 

 “नदी पुनर्जीवन जागरूकता से शुरू होता है। जब लोग नदियों का सम्मान करना सीखते हैं, तो पुनर्स्थापन एक सांस्कृतिक आंदोलन बन जाता है।”

इस मौके पर “International Institute of River Affairs (IIRA) नामक एक नई River Think Tank की घोषणा की गई। साथ ही Indian Journal of River Affairs का भी विमोचन हुआ।
कार्यक्रम में SAIARD River Awards 2025 के तहत कई संस्थानों और विशेषज्ञों को नदी संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

 नदी अर्थव्यवस्था और ब्लू इकॉनमी पर जोर

कांग्रेस के ‘एक्शन ट्रैक’ सत्रों में विशेषज्ञों ने वाटरशेड प्रबंधन, नदी-आधारित आजीविका और औद्योगिक स्थिरता पर विचार साझा किए।
भूमि संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. नितिन खड़े ने कहा —
 “वाटरशेड डेवलपमेंट सिर्फ जल संरक्षण नहीं, बल्कि जीवन संरक्षण है। हर बची बूंद एक किसान को संबल देती है।”

भारत, फ़िनलैंड, डेनमार्क और इज़राइल से आए विशेषज्ञों ने सस्टेनेबल रिवर इकॉनमीप्लास्टिक-मुक्त जलमार्ग और ईएसजी नीति पर अनुभव साझा किए।
आईटीडीसी की प्रबंध निदेशक मुग्धा सिन्हा ने कहा —
 “नदियां भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं — जहां पारिस्थितिकी और आस्था, समृद्धि से मिलती हैं।”

एलायंस फॉर वॉटर स्टीवर्डशिपके आशीष भारद्वाज ने कहा —
 “व्यवसाय का भविष्य विस्तार में नहीं, बल्कि पर्यावरणीय पदचिह्न घटाने में है।”


 प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप पहल

समापन सत्र में बीपीसीएल के स्वतंत्र निदेशक और ‘जलाधिकार फाउंडेशन’ के संस्थापक गोपाल कृष्ण अग्रवाल मुख्य अतिथि रहे।उन्होंने कहा 
  यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दृष्टि के अनुरूप है जिसमें भारत की नदियां आत्मनिर्भर, सतत और सामाजिक रूप से समावेशी विकास की प्रतीक बनें।


साझेदारी और संवाद की भावना

कार्यक्रम का समापन नेटवर्किंग डिनर के साथ हुआ, जिसमें देश-विदेश से आए विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भविष्य की साझेदारी पर चर्चा की।
यह आयोजन न केवल संवाद का मंच बना, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि **नदी संरक्षण अब राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी का एजेंडा बन चुका है।

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