खेल पत्रकारिता मानसिक दृढ़ता, विश्लेषण करने की क्षमता एवं तेज निर्णय लेने की कला पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय-स्तरीय पेशा:- डॉ. मीनाक्षी

20 November, 2025, 2:24 pm

 

राई (सोनीपत)- बुधवार को खेल विश्वविद्यालय, सोनीपत की और से “व्यक्तित्व और क्षमताः अपने भीतर चल रहे वास्तविक खेल को समझना” विषय पर एक महत्वपूर्ण एवं प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला न केवल खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी सिद्ध हुई, बल्कि इसमें लगभग 400 प्रतिभागियों की सक्रिय उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि आधुनिक खेल जगत में व्यक्तित्व-विकास और मानसिक मजबूती की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो चुकी है। प्रतिभागियों में स्पोर्ट्स, स्पोर्ट्स कोचिंग, बैचलर ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स, मास्टर ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स, बैचलर ऑफ़ स्पोर्ट्स साइंस, स्पोर्ट्स जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, न्यूट्रिशन एवं मैनेजमेंट विभाग के छात्र भी बढ़ी संख्या में सम्मिलित हुएं।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति अशोक कुमार ने कहा कि खेलों में सफलता केवल शारीरिक कौशल का परिणाम नहीं है, बल्कि यह खिलाड़ी के मानसिक संतुलन, आत्मविश्वास एवं व्यक्तित्व की परिपक्वता पर भी समान रूप से निर्भर करती है। इसके आगे उन्होंने अपने संबोधन में कहा “आज के प्रतिस्पर्धी खेल परिवेश में तकनीकी दक्षता केवल एक आधार है। वास्तविक विजेता वही होता है जो मानसिक तौर पर मजबूत हो, दबाव के समय अपने पर संतुलन रख सके और स्वयं को लगातार विकसित कर सके। ऐसी कार्यशालाएँ खिलाड़ियों और विद्यार्थियों को अपने ‘आंतरिक खेलों’ को समझने और स्वयं की वास्तविक क्षमता को पहचानने का अवसर प्रदान करती है।” इस विश्वविद्यालय द्वारा भविष्य में निरंतर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा, जिनसे छात्र अपने आप को मानसिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक रूप से अधिक सक्षम बन सकें।

इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ. मीनाक्षी सहारावत, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली ने खिलाड़ियों और पत्रकारिता में रुचि रखने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए एक अत्यंत प्रभावशाली और गहन व्याख्यान उनके समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने ने छात्रों को मानसिक संरचना, आत्म-छवि, अनुशासन और आंतरिक तैयारी की भूमिका को समझाते हुए एक प्रसिद्ध ‘आइसबर्ग इल्यूजन’ का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक खिलाड़ी की सफलता का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा उसके भीतर चल रहे मानसिक प्रक्रियाओं पर आधारित होता है, जो आमतौर पर हमें दिखाई नहीं देता, लेकिन वास्तविक में विजय का आधार बनती हैं। “खेल केवल मैदान पर नहीं खेला जाता; असली खेल खिलाड़ी के भीतर चलता है। यदि उसके मन में स्पष्टता नहीं है, यदि उसकी भावनाएँ स्थिर नहीं हैं, और यदि उसकी आत्म-छवि मजबूत नहीं है, तो चाहे कितनी भी प्रतिभा में भाग ले, परन्तु दबाव के क्षणों में टूट जाती है। ‘आइसबर्ग इल्यूजन’ हमें यह सिखाता है कि जो दिखाई देता है, वह सफलता का केवल 10 प्रतिशत होता है, 90 प्रतिशत वह गहरी मानसिक तैयारी होती है जो खिलाड़ी को संघर्ष, असफलता, आलोचना और अपेक्षाओं के दबाव से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसी प्रकार, खेल पत्रकारिता भी केवल रिपोर्टिंग नहीं है, यह मानसिक दृढ़ता, विश्लेषण करने की क्षमता और तेज निर्णय लेने की कला पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय-स्तरीय पेशा है। यदि पत्रकार का मन स्थिर नहीं है या वह दबाव में संतुलन नहीं रख पाता, तो वह किसी बड़े वैश्विक मंच पर टिक नहीं सकता। दुनिया भर के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट तब पहचाने जाते हैं जब वे चुनौतीपूर्ण स्थितियों में भी स्पष्ट सोच, साहसिक विश्लेषण प्रस्तुत करने में सक्षम होते हैं। भविष्य उन्हीं का है जो स्वयं के व्यक्तित्व को मजबूत बनाते हुए ‘आंतरिक खेलों‘ को जीतते हैं।”’’

जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन विभाग के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि खेल पत्रकारिता का क्षेत्र आज वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व संभावनाएँ प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट, ओलंपिक, क्रिकेट वर्ल्ड कप और एशियन गेम्स के कारण पत्रकारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काम करने, नेटवर्किंग और पहचान बनाने के अवसर बहुत तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एक सफल स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट में मानसिक दृढ़ता, अनुकूलन क्षमता, स्पष्ट विचार, संवेदनशील अवलोकन, दबाव में निर्णय-क्षमता और जिम्मेदार रिपोर्टिंग जैसी खूबियाँ होनी बहुत ही आवश्यक है। 

सत्र के दौरान छात्रों ने मानसिक मजबूती, प्रतियोगी दबाव, आत्म-विकास, खेल पत्रकारिता में अवसर, ग्लोबल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आदि विषयों पर अनेक प्रश्न पूछे। डॉ. मीनाक्षी ने हर प्रश्न का विस्तृत और व्यावहारिक उत्तर देकर छात्रों को प्रेरित किया।

कार्यक्रम के समापन पर डॉ. विवेक ने मुख्य अतिथि डॉ. मीनाक्षी द्वारा अपना कीमती समय देने तथा विश्वविद्यालय के सभी छात्रों और आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालय में नियमित रूप से आयोजित होते रहेंगे, जिससे छात्रों को न सिर्फ शैक्षणिक बल्कि व्यावहारिक और मानसिक विकास से भी लाभ प्राप्त हो सके।